ऋग्वेद संहिता वाक्य
उच्चारण: [ rigaved senhitaa ]
उदाहरण वाक्य
- ) (ऋग्वेद संहिता 2 / 3 / 2) स्पष्ट है कि हज़रत मुहम्मद (सल् ल.)
- (2) सुन्दर कान्ति के धनीः इस विशेषता का उल्लेख करते हुए ऋग्वेद संहिता (2/3/2) में “स्वर्चि” शब्द आया है।
- आर्य जाति के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद संहिता में इसका कोई उल्लेख नही है, आधुनिक विद्वान उसमे प्रकृति पूजा के ही चिन्ह पाते है।
- (ऋग्वेद संहिता 2 / 3 / 2) मुहम्मद सल्ल 0 का मुख-मण्डल चंद्रमा के समान था जिस पर प्रत्येक इतिहारकार सहमत हैं।
- (1) वाणी की मधुरताः ऋग्वेद में नराशंस को “ मधुजिह्वं ” (ऋग्वेद संहिता 1 / 13 / 3) कहा गया है।
- ऋग्वेद संहिता के पहले ही मण्डल के प्रथम सुक्त के चौथे ही मंत्र में यह साफ साफ कह दिया गया है कि यज्ञ हिंसा रहित ही हों।
- (ऋग्वेद संहिता 1/13/3) संसार में जितनी प्रशंसा मुहम्मद सल्ल0 की की गई तथा आज तक की जा रही है वह किसी व्यक्ति के भाग में नहीं आया।
- ऋग्वेद संहिता में कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि यह देववाणी है, बल्कि इसके अध्ययन से पता चलता है कि यह पूरी शैतानी पोथियाँ हैं।
- ऋग्वेद संहिता के दशम मण्डल के १ २ ५ वें सूक्त में देवीसूक्त के नाम से जो आठ मन्त्र हैं, वे इन्हीं की अनुभूति एवं अभिव्यक्ति हैं।
- (2) सुन्दर कान्ति के धनीः इस विशेषता का उल्लेख करते हुए ऋग्वेद संहिता (2 / 3 / 2) में “ स्वर्चि ” शब्द आया है।