कनकदास वाक्य
उच्चारण: [ kenkedaas ]
उदाहरण वाक्य
- शिष्यों में से एक साधु ने सर्वप्रथम कनकदास से प्रश्न किया-‘क्या मैं परमात्मा को पा सकता हूं? ' कनकदास ने उत्तर दिया-‘अवश्य, किंतु यह तब होगा जब ‘मैं' जाएगा।' इसके बाद सभी शिष्यों ने बारी-बारी से यही सवाल किया और सभी को कनकदास ने यही उत्तर दिया।
- शिष्यों में से एक साधु ने सर्वप्रथम कनकदास से प्रश्न किया-‘क्या मैं परमात्मा को पा सकता हूं? ' कनकदास ने उत्तर दिया-‘अवश्य, किंतु यह तब होगा जब ‘मैं' जाएगा।' इसके बाद सभी शिष्यों ने बारी-बारी से यही सवाल किया और सभी को कनकदास ने यही उत्तर दिया।
- शिष्यों में से एक साधु ने सर्वप्रथम कनकदास से प्रश्न किया-‘क्या मैं परमात्मा को पा सकता हूं? ' कनकदास ने उत्तर दिया-‘अवश्य, किंतु यह तब होगा जब ‘मैं' जाएगा।' इसके बाद सभी शिष्यों ने बारी-बारी से यही सवाल किया और सभी को कनकदास ने यही उत्तर दिया।
- तो क्या हुआ, कि मंदिर की दीवार टूट गयी और भगवान कृष्ण की मूर्ति पूरी घूम गयी और कनकदास को दर्शन दिए | और जो लोग दूसरी तरफ बैठकर पूजा कर रहे थे, वे सब आश्चर्यचकित रह गए | ये यहाँ पर बहुत जानी-मानी बात है |
- आज भी, उडुपी कृष्ण मंदिर में, आप देखेंगे, कि जब आप मंदिर में अंदर प्रवेश करते हैं, तो मूर्ति का मुहँ विपरीत दिशा में है | वहां एक टूटी हुई दीवार है, और आप उस टूटी दीवार के अंदर से ही मूर्ति को देख सकते हैं | इसे कनकदास की खिड़की कहते हैं, जहाँ से उन्होंने खड़े होकर प्रार्थना करी थी |