कभी खुशी कभी ग़म वाक्य
उच्चारण: [ kebhi khushi kebhi gaem ]
उदाहरण वाक्य
- २००१ में, कपूर की आखिरी रिलीज़ थी कभी खुशी कभी ग़म जो १४ दिसम्बर को प्रर्दशित हुई और जिसका निर्देशन करन जोहर ने किया था.यह एक कई कलाकारों से भरी थी, जिनमें शामिल थे-अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख़ खान, काजोल और हृतिक रोशन.
- २००१ में, कपूर की आखिरी रिलीज़ थी कभी खुशी कभी ग़म जो १४ दिसम्बर को प्रर्दशित हुई और जिसका निर्देशन करन जोहर ने किया था.यह एक कई कलाकारों से भरी थी, जिनमें शामिल थे-अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख़ खान, काजोल और हृतिक रोशन.
- [25] एक समीक्षक ने अपने रिपोर्ट में लिखा की “करीना कपूर लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती हैं वो हर फ्रेम में सुंदर दिखती हैं, लेकिन कभी खुशी कभी ग़म में उन्होंने अपने उस छैल छबीली वाले किरदार को इतनी बार दोहराया की उसे झेलना मुश्किल हो गया.
- [25] एक समीक्षक ने अपने रिपोर्ट में लिखा की ” करीना कपूर लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती हैं वो हर फ्रेम में सुंदर दिखती हैं, लेकिन कभी खुशी कभी ग़म में उन्होंने अपने उस छैल छबीली वाले किरदार को इतनी बार दोहराया की उसे झेलना मुश्किल हो गया.
- वो थकी हुई लगती हैं लेकिन अपनी शैतानी भरी मुस्कराहट से वो आपको तारो ताज़ा कर देती हैं “, रेडिफ़. कॉम ने लिखा, ” आखिरकार, करीना कभी खुशी कभी ग़म में अपनी “ पू ” वाली छवि से आगे निकलकर और अपने असल रूप में आ गई हैं. ”
- द ट्रिब्यून (The Tribune) ने छापा कि “करीना कपूर ने अच्छा प्रदर्शन दिया है.वो थकी हुई लगती हैं लेकिन अपनी शैतानी भरी मुस्कराहट से वो आपको तारो ताज़ा कर देती हैं”, रेडिफ़.कॉम ने लिखा, “आखिरकार, करीना कभी खुशी कभी ग़म में अपनी ”पू“ वाली छवि से आगे निकलकर और अपने असल रूप में आ गई हैं.”
- खान की कुछ फ़िल्में जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), कुछ कुछ होता है (१९९८), देवदास (२००२), चक दे! इंडिया (२००७), ओम शांति ओम (२००७), रब ने बना दी जोड़ी (२००८) और रा.वन (२०११) अबतक की सबसे बड़ी हीट फ़िल्मों में रही है और कभी खुशी कभी ग़म (२००१), कल हो ना हो (२००३), वीर ज़ारा (२००६)।
- जिसके बाद करण जौहर का नाटकीय कभी खुशी कभी ग़म, जो की बॉक्स आफिस में बहुत अच्छी तरह हिट हुआ जो की सन 2001 का दूसरी सबसे अधिक लाभदायक फिल्म और विदेश में सबसे बड़ा हित रहा.[11][12] रोशन का प्रदर्शन अच्छी तरह से स्वीकार गया और विभिन्न पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए नामांकन किया गया.
- [27] [28] आलोचकों को कपूर का प्रदर्शन एक बार फिर अमौलिक और दोहराया हुआ सा लगा, जिसने दर्शकों को बहुत कम प्रेरित किया.कुछ लोगों के अनुसार इस फ़िल्म में उनकी भूमिका कभी खुशी कभी ग़म, यादें, और उनकी पिछली फ़िल्म खुशी से कुछ ख़ास अलग नहीं थी और उनका काम उनके पिछले कामों को दुहराने तक सीमित था.
- ने छापा कि “करीना कपूर ने अच्छा प्रदर्शन दिया है. वो थकी हुई लगती हैं लेकिन अपनी शैतानी भरी मुस्कराहट से वो आपको तारो ताज़ा कर देती हैं”, रेडिफ़.कॉम ने लिखा, “आखिरकार, करीना कभी खुशी कभी ग़म में अपनी ”पू“ वाली छवि से आगे निकलकर और अपने असल रूप में आ गई हैं.”[36] [37] उसके बाद उस साल प्रर्दशित हुई उनकी फिल्मों में शामिल हैं अब्बास-मस्तान (