कर्ण सिंह चौहान वाक्य
उच्चारण: [ kern sinh chauhaan ]
उदाहरण वाक्य
- 29 अक्टूबर 2011 को सत्यवती कालेज में आयोजित हिन्दी की समकालीन युवा कविता विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रोफ़ेसर कर्ण सिंह चौहान ने कहा कि इतनी सारी और इतनी अच्छी कविताओं को सुनने के बाद उन पर टिप्पणी करना कविता को सामान्यीकृत करना है और कविता कोई सामान्यीकृत करने वाली चीज नहीं है, एक ज़माना था जब चीजें बहुत स्पष्ट थीं।
- त्रिलोचन, शमशेर, विष्णु चंद्र शर्मा, रामकुमार कृषक, नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, भगवत रावत, जीवन सिंह, रमाकांत शर्मा, नरेश सक्सेना, विश्वंभर नाथ उपाध्याय, वाचस्पति मोहन श्रोत्रिय, नंद भारद्वाज, नंद चतुर्वेदी, अशोक वाजपेयी, कर्ण सिंह चौहान, मैनेजर पांडेय, रमेश उपाध्याय, अरूण कमल, सुधीश पचौरी, उदय प्रकाश, एकांत श्रीवास्तव सहित तामम आलोचकों और कवियों के बारे में लेखक की बेबाक राय पता चलती है।