कलानाथ शास्त्री वाक्य
उच्चारण: [ kelaanaath shaasetri ]
उदाहरण वाक्य
- सम्मलेन के अध्यक्ष साहित्य वाचस्पति श्री भगवती प्रसाद देवपुरा, अध्यक्ष हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग की अध्यक्षता में देश के चयनित ५ संस्कृत विद्वानों डॉ. जयंत मिश्र दरभंगा, श्री शेषाचल शर्मा बंगलुरु, श्री गंगाराम शास्त्री भोपाल, देवर्षि कलानाथ शास्त्री जयपुर, श्री बदरीनाथ कल्ला फरीदाबाद को महामहिमोपाध्याय की सम्मानोपाधि से सम्मानित किया गया।
- प्रख्यात विद्वान कलानाथ शास्त्री जी मेरे साथ थे और ज़ाहिर था नामवर सिंह जी से अलग बैठ कर चर्चा करने का लोभ मन में था, हम लोग सभागार से निकल कर उस गेस्ट हाउस मैं चले आये जहाँ हिंदी के दोनों बेहतरीन वक्ताओं-प्रभाष जी और नामवर जी का अस्थाई डेरा था.
- कलानाथ शास्त्री को | सीबीआई के विरोध में उतरा बिश्नोई समाज | सडक दुघर्टना में घायल की मौत | सीबीआई के विरोध में अम्बेडकर सर्किल पर लगाया जाम | डेयरी कर्मचारियो ने दिया कलेक्ट्रेट पर धरना | सडक दुर्घटना में एक की मौत | जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला | पेट से निकाली 25 किलो वजनी गांठ |
- दूरसंचार सलाहकार समिति में सदस्य मनोनीत सम्प्रेषण दक्षता व युवा नेतृत्व कौशल पर दो दिवसीय कार्यशाला अजित फाउण्डेशन व सर रतन टाटा ट्रस्ट के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला कोचर स्मृति 15वां साहित्य पुरस्कार डॉ. कलानाथ शास्त्री को पुरस्कार के तहत शास्त्री को 7100 रुपए की नकद राशि, शॉल, प्रशस्ति पत्रा व श्रीफल से सम्मानित किया जाता है
- कलानाथ शास्त्री को सीबीआई के विरोध में उतरा बिश्नोई समाज सडक दुर्घटना में एक की मौत सडक दुघर्टना में घायल की मौत डेयरी कर्मचारियो ने दिया कलेक्ट्रेट पर धरना पेट से निकाली 25 किलो वजनी गांठ जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला पत्थर मंडी में मिलेगें रियायती पर भूखण्ड सीबीआई के विरोध में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन पाटोत्सव १२ को, फोल्डर का विमोचन
- कलानाथ शास्त्री को | सीबीआई के विरोध में उतरा बिश्नोई समाज | सडक दुघर्टना में घायल की मौत | सीबीआई के विरोध में अम्बेडकर सर्किल पर लगाया जाम | डेयरी कर्मचारियो ने दिया कलेक्ट्रेट पर धरना | सडक दुर्घटना में एक की मौत | जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला | पेट से निकाली 25 किलो वजनी गांठ | जिंदादिल वालीबॉल ट्राफी गुरूमण्डल को |
- ******************************************* सुजॊय जी, पिछले दिनों मैनें जयपुर के संस्कृत के विद्वान देवर्षि कलानाथ शास्त्री जी का एक लेख पढा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि सहगल साहब का प्रसिद्ध गीत “बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए” में मूल पंक्ति थी “चार कहार मिल मोरी डोलिया उठावै”, लेकिन उन्होंने गा दिया “डोलिया सजावै”, जबकि डोली सजाने का काम दुल्हन की सखियां करती हैं, कहार तो उठाते हैं।
- पिछले दिनों मैनें जयपुर के संस्कृत के विद्वान देवर्षि कलानाथ शास्त्री जी का एक लेख पढा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि सहगल साहब का प्रसिद्ध गीत “ बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए ” में मूल पंक्ति थी “ चार कहार मिल मोरी डोलिया उठावै ”, लेकिन उन्होंने गा दिया “ डोलिया सजावै ”, जबकि डोली सजाने का काम दुल्हन की सखियां करती हैं, कहार तो उठाते हैं।