कल युग वाक्य
उच्चारण: [ kel yuga ]
उदाहरण वाक्य
- अब कुआ तो प्यासे के पास आता नही पर हा आपने इतना अच्छा गाना गया की भगवान आपसे प्रसन्न हो गये और उन्होने मुझे सपने मे कहा वत्स हमारे हनुमान (जो कल युग मे उडनतश्तरी के नाम से जाने जाते है) की मनोकामना पुरी करो.
- धन दौलत हो जेब में, हो जाते सब काम कल युग के इस दौर में, चुप बैठे हैं राम आदरणीय निर्मला कपिला जी सादर प्रणाम दोहे सशक्त भावाभियक्ति का माध्यम है, आपके इन दोहों में जीवन के आन्तरिक और वाह्य पक्षों का बखूबी वर्णन हुआ है....!
- अब कुआ तो प्यासे के पास आता नही पर हा आपने इतना अच्छा गाना गया की भगवान आपसे प्रसन्न हो गये और उन्होने मुझे सपने मे कहा वत्स हमारे हनुमान (जो कल युग मे उडनतश्तरी के नाम से जाने जाते है) की मनोकामना पुरी करो.
- सत युग में तपस्या से उतम पद की प्राप्ति होती है, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में भगवत पूजा से और कल युग में दान सर्वोपरी माना गया है | दा नं केवलं कलि युगे || परन्तु माघ स्नान तो सभी युगों में श्रेष्ठ माना गया है |
- आशा राम जी के आश्रम में रुकने वाले ये श्रीमान पहले ही बाहर आ जाते और सच उजागर कर सकते थे खैर देर आयद दुरुस्त आयद यदि यह सच है तो घोर कल युग है आइये हम सब अपनी भूलों पर पछतावा करें और सीखे कि व्यक्ति पूजा क्यों गलत है?
- यह सब तो होना ही है, जब हम बिना सोचे समझे आज भी वोही कर रहे है, जब की पता है इस से हमारे आने वाली पीडीयो को नुकसान है, लेकिन जीवन फ़िर भी रहेगा,फ़िर से सब दोवारा पनपेगे,जिसे कल युग कहते है वो यही है, इस का अन्त होना ही है, फ़िर चिंता केसी??
- कुतिया जब तक ज़िंदा हैं पैसा उसके लिए ख़रच किया जाए, कुटीता के मरने के बाद उसकी एक क़ब्र बनाई जाए और मालकिन की फ़ोटो और उसका नाम उस क़ब्र पे लिखवाया जाए,दान देने वाली महिला को मेरा प्रणाम, की उसने कल युग मे वफ़ादार को पहेचना और अपना सब कुछ एक वफ़ादार कुतिया के नाम कर दिया..
- जी हां इस कल युग में भी भक्तों ने भगवान को नाच नचा ही दिया यह आपको इन तस्वीरों को देखकर विश्वास हो जायेगा की यह बात सत्य हैं, यह बात है श्री कृष्ण जन्माष्टमी की रात्री की यानि 28 अगस्त 2013 बुधवार की रात्री की हालाँकि कारणवश पोस्ट लिखने में देरी हो गई इसके लिए क्षमा चाहता हूं।
- यह सब तो होना ही है, जब हम बिना सोचे समझे आज भी वोही कर रहे है, जब की पता है इस से हमारे आने वाली पीडीयो को नुकसान है, लेकिन जीवन फ़िर भी रहेगा, फ़िर से सब दोवारा पनपेगे, जिसे कल युग कहते है वो यही है, इस का अन्त होना ही है, फ़िर चिंता केसी??
- दुर्योधन भाई साहब की डायरी पढने से एक बात तो साफ़ हो गयी के द्वापर और कल युग में कोई विशेष अंतर नहीं आया है...जो तब होता था वो ही अब हो रहा है...उस काल इस काल में जो चीजें कामन हैं वो हैं:-महंगाई, बेईमान केटरर, बैंक लोन की समस्या, न्यूज चेनल्स की दादा गिरी, ब्रेकिंग न्यूज का फंडा, बीजिंग से इम्पोर्ट और दार्जिलिंग चाय.