कार्तिक शुक्ल षष्ठी वाक्य
उच्चारण: [ kaaretik shukel sesthi ]
उदाहरण वाक्य
- कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन है और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है.
- भविष्य पुराण में भी इस व्रत का उल्लेख मिलता है-‘ कृत्यशिरोमणो, कार्तिक शुक्ल षष्ठी षष्ठीकाव्रतम ' यानी धौम्य ऋषि ने द्रोपदी को बतलाया कि सुकन्या ने इस व्रत को किया था।
- पूर्वी भारत में बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाए जाने वाले इस पर्व का नाम छठ इसलिए पड़ा क्योंकि चार दिवसीय इस व्रत की सबसे महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को होती है।
- एक मान्यता के अनुसार लंका“>लंका विजय के बाद रामराज्य”>रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी (पृष्ठ मौजूद नहीं है)“>कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम”>राम और माता सीता">सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की।
- रामायण काल में राम द्वारा लंका विजय के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास रख सूर्यदेव की पूजा की और सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद लिया था।
- लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की और सप्तमी को सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशिर्वाद प्राप्त किया।
- अथर्ववेद में भी इसके महात्म्य का वर्णन है | रामायण से एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की।
- उधर खरीफ की फसलें पक कर तैयार हो चुकती हैं अतः इस समय दीपावली क़े बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर विशेष सूर्य उपासना का विधान रखा गया था, जिसे विकृत रूप में हम व्यापक रूप से फैलते देख रहे हैं.
- राम के राज्याभिषेक के बाद रामराज्य की स्थापना का संकल्प लेकर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास रखकर प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की आराधना की थी और सप्तमी को सूर्योदय के समय अपने अनुष्ठान को पूर्ण कर प्रभु से रामराज्य की स्थापना का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान श्रीरामचन्द्र जी जब अयोध्या लटकर आये तब राजतिलक के पश्चात उन्होंने माता सीता के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को सूर्य देवता की व्रतोपासना की और उस दिन से जनसामान्य में यह पर्व मान्य हो गया और दिनानुदिन इस त्यहार की महत्ता बढ़ती गई व पूर्ण आस्था एवं भक्ति के साथ यह त्यहार मनाया जाने लगा.