किशोरीलाल गोस्वामी वाक्य
उच्चारण: [ kishorilaal gaosevaami ]
उदाहरण वाक्य
- द्विवेदी युग में देवकीनन्दन खत्री, गोपालराम गहमरी, किशोरीलाल गोस्वामी आदि देवकीनन्दन खत्री जी की “ चन्द्रकान्ता ” उपन्यास तो लोगों को इतनी भायी कि लाखो लोगों ने उसे पढ़ने के लिए हिन्दी सीखा।
- पं. किशोरीलाल गोस्वामी के कुछ उपन्यासों के नाम ये हैं, तारा, चपला, तरुणतपस्विनी, रजिया बेगम, लीलावती, राजकुमारी, लवंगलता, हृदयहारिण्ाी, हीराबाई, लखनऊ की कब्र इत्यादि।
- वे लिखते हैं कि एक बार 1916 में वे श्री किशोरीलाल गोस्वामी से झगड़ा कर बैठे थे, केवल इस बात पर कि दश प्रकार की भक्ति के दश को काटकर उन्होंने दस कर दिया था।
- बनारस पर अंग्रेजों के अधिकार के सवा सौ साल बाद तथा फोर्ट विलियम कालेज की स्थापना के सौ साल बाद हिन्दी की पहली कहानी सरस्वती के जनवरी अंक में छपी जिसका नाम था इन्दुमती और कहानीकार थे-किशोरीलाल गोस्वामी.
- हिंदी की शुरुआती कहानियां जिसमें किशोरीलाल गोस्वामी और बंगमहिला ऐसे कथाकार हैं जिनकी कहानियां बहुत कम लोगों ने देखी होंगी, इसलिए पंकज के लेखों से न केवल उन कहानियों के बारे में बल्कि उन कथाकारों के बारे में भी बहुत कुछ पता चलता है।
- डॉक्टर गणपति चन्द्र गुप्त पहले तो लिखते हैं कि हिंदी गद्य में कहानी शीर्षक से प्रकाशित होने वाली रचना ' रानी केतकी की कहानी ' है जो सन् 1803 में लिखी गई, किन्तु आगे चलकर वह यह निष्कर्ष निकालते हैं कि किशोरीलाल गोस्वामी हिंदी के प्रथम कहानीकार हैं.
- िंह राठौर ', एवं “श्रीदामा'; किशोरीलाल गोस्वामी का ”चौपट चपेट'; राधाकृष्णदास का “दु:खिनीबाला'; अंबिकादत्त व्यास रचित ”कलियुग और घी' तथा “मन की उमंग'; श्रीशरण का ”बालविवाह'; बालकृष्ण भट्ट के “कलिराज की सभा', ”रेल का विकट खेल' तथा “बाल विवाह'; प्रतापनारायण मिश्र का ”कलिकौतुक'; देवकीनंदन त्रिपाठी कृत “जय नरसिंह की'; काशीनाथ खत्री के ”सिंधु देश की राजकुमरियाँ', गुन्नौर की रानी'
- ' पंडित किशोरीलाल गोस्वामी ' के प्रथम कहानी ' इंदुमती ' को मौलिक कहानी का दर्जा दिया गया है. तत्पश्चात ' गोस्वामी ' जी की ही ' गुलबहार ', ' मास्टर भगवानदास ' का ' प्लेग की चुड़ैल ', रामचंद्र शुक्ल ' का ' ग्यारह वर्ष का समय ', पंडित गिरजादत्त वाजपेयी ' का ' पंडित और पंडितानी ' और ' बंग महिला ' की ' दुलाईवाली ' कहानिया एक-एक करके प्रकाशन में आई. इसके आलावा भी बहुत सी उंदा कहानियां लिखीं गयी और प्रकाशित हु ई.