कुम्भनदास वाक्य
उच्चारण: [ kumebhendaas ]
उदाहरण वाक्य
- कुम्भनदास के पदों का एक संग्रह ' कुम्भनदास ' शीर्षक से श्रीविद्या विभाग, कांकरोली द्वारा प्रकाशित हुआ है।
- वल्लभाचार्य जी के चौरासी शिष्यों में अष्टछाप कविगण-भक्त सूरदास, कृष्णदास, कुम्भनदास व परमानन्द दास प्रमुख थे।
- ऐसा माना जाता है कि वल्लभाचार्य के चौरासी शिष्य थे जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, कृष्णदास, कुम्भनदास और परमानन्द दास।
- कुम्भनदास ने गुरुभक्ति और गुरु के परिजनों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए भी अनेक पदों की रचना की।
- कुम्भनदास लाल गिरिधरन मुख निरखत, कहो कैसे करि मन अघाई ॥२॥ २७) श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो...
- कुम्भनदास ने गुरुभक्ति और गुरु के परिजनों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए भी अनेक पदों की रचना की।
- कुम्भनदास के पदों के उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि इनका दृष्टिकोण सूर और परमानन्द की अपेक्षा अधिक साम्प्रदायिक था।
- कुम्भनदास के पदों के उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि इनका दृष्टिकोण सूर और परमानन्द की अपेक्षा अधिक साम्प्रदायिक था।
- कुम्भनदास के पदों की कुल संख्या जो ' राग-कल्पद्रुम' 'राग-रत्नाकर' तथा सम्प्रदाय के कीर्तन-संग्रहों में मिलते हैं, 500 के लगभग हैं।
- कुम्भनदास को निकुंजलीला का रस अर्थात् मधुर-भाव की भक्ति प्रिय थी और इन्होंने महाप्रभु से इसी भक्ति का वरदान माँगा था।