कूटस्थ वाक्य
उच्चारण: [ kutesth ]
उदाहरण वाक्य
- भगवद्गीता के अनुसार आत्मसाक्षात्कार होने से योगी कूटस्थ और जितेंद्रिय हो जाता है।
- साक्षी, कूटस्थ और अंतर्यामी आत्मा की तीन परिस्थितिगत परिभाषाएं हैं-सिचुएशनल।
- क्षर सर्व भूतों को कहा, कूटस्थ है अक्षर सदा || १५. १६ ||
- इसी प्रकार कूटस्थ परमात्मा पर आश्रित होकर समस्त जगत् का विस्तार हुआ है।
- कूटस्थ, भारतीय दर्शन में आत्मा, पुरुष, ब्रह्म तथा ईश्वर के लिए प्रयुक्त शब्द।
- माया आदि अनेक प्रकार से स्थित होने के कारण ब्रह्म कूटस्थ कहलाता है।
- लाहिड़ी महाशय सकल स्पन्दनशील सृष्टि में व्याप्त कूटस्थ चैतन्य का अर्थ समझा रहे थे।
- किसी ने उसको सर्वाधार, अकाल पुरुष, अनामी पुरुष या कूटस्थ कह दिया.
- इन्द्र प्राण कूटस्थ भाव को तैंतीसवें स्तोम अर्थात परमेष्ठी लोक तक ले जाता है।
- माया का अधिष्ठान होने के कारण आत्मा, ब्रह्म अथवा ईश्वर कूटस्थ कहे गए हैं।