कौस्तुभ मणि वाक्य
उच्चारण: [ kausetubh meni ]
उदाहरण वाक्य
- समुद्र मन्थन के दौरान चौदह रत्न हलाहल (विष), कामधेनु, उच्चे: श्रवा (अश्व), ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पद्रुम, रंभा, लक्ष्मी, वारुणी (मदिरा), चन्द्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, धन्वन्तरि (चिकित्सक) और अमृत प्राप्त हुए।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकलने वाली वस्तुओं में रत्न कहा गया तथा वे चौदह रत्न थे जिनके नाम हैं-हलाहल, कामधेनु, उच्चैःश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पद्रुम, रम्भा, लक्ष्मी, वारुणी (मदिरा), चन्द्रमा, पारिजात वृक्ष, शंख, धन्वन्तरि वैद्य और अमृत।
- विश्व का सर्वाधिक विषैला कोबरा नाग, कैलाशपति के दाहिने बाजूबंद के स्थान से फुफकारता हुआ नटराज शिव का अलंकरण बना शोभायमान है और महाविष्णु जिस तरह वक्ष पर कौस्तुभ मणि धारण करते हैं, भोलेनाथ ने अपने वक्ष पर उस स्थान पर नर मुंड धारण किया है और वे इन विलक्षण आभूषणों को धारण किये प्रसन्न व शांत मुद्रा में तप लीन हैं।
- इस बहुभाषी कवि सम्मेलन के अंतिम सत्र में वरिष्ठ कवि अरुण कमल (हिन्दी), जसवीर राणा (पंजाबी), उदयचन्द्र झा ‘ विनोद ' (मैथिली), शिवलाल किस्कू (संताली) डा. कासीम खुर्शीद (उर्दू) और कौस्तुभ मणि सैकिया (असमिया) ने अपनी-अपनी कविताओं के माध्यम से आज के हालात को श्रोताओं के सामने रखा।
- जो भगवान अकर्मा होते हुये भी अपनी लीला विलास के लिये योगमाया द्वारा इस संसार की श्रृष्टि रच कर लीला करते हैं, जिनका श्यामवर्ण है, जिनका तेज करोड़ों सूर्यों के समान है, जो पीताम्बरधारी हैं तथा चारों भुजाओं में शंख, चक्र, गदा, पद्म कण्ठ में कौस्तुभ मणि और वक्षस्थल पर वनमाला धारण किये हुये हैं, ऐसे भगवान श्रीकृष्णचन्द्र के चरणों में मेरा मन समर्पित हो।
- जो भगवान अकर्मा होते हुये भी अपनी लीला विलास के लिये योगमाया द्वारा इस संसार की श्रृष्टि रच कर लीला करते हैं, जिनका श्यामवर्ण है, जिनका तेज करोड़ों सूर्यों के समान है, जो पीताम्बरधारी हैं तथा चारों भुजाओं में शंख, चक्र, गदा, पद्म कण्ठ में कौस्तुभ मणि और वक्षस्थल पर वनमाला धारण किये हुये हैं, ऐसे भगवान श्रीकृष्णचन्द्र के चरणों में मेरा मन समर्पित हो।