खर दूषण वाक्य
उच्चारण: [ kher dusen ]
उदाहरण वाक्य
- सूर्पणखा ने खर दूषण वध करवाया रावण कुम्भकरण भी फिर मरवाया कहने भर को राजा बने विभीषण जी चली सब जगह सूर्पणखा की ही माया रच डाला सोने का महानगर धू धूकर अब जलने वाला है।
- शत्रुओं की हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सहित समस्त चतुरंगिणी सेना को उन्होंने यमलोक पहुँचा दिया तथा अपने साथ युद्ध करने वाले भयंकर राक्षस खर दूषण एवं त्रिशिरा को भी मौत के घाट उतार दिया।
- रघुवंशम्में बारहवें सर्ग में जब खर दूषण राम से युद्ध के लिए प्रस्थान करते हैं तो वे शूर्पनखाको आगे करके चले, उसकी नाक कटी थी, अत: यही अपशकुन हो गया, और खरदूषणका विनाश हुआ।
- जब राम द्वारा खर दूषण के वध के बाद सूर्पनखा रावण के दरबार में अपना दुःख सुनाती है तब भी वह कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त करती है, वैसे उसका खुद का आचरण भी कोई अच्छा नहीं था ।
- शूर्पनखा, निलय, धृष्ट, विकृत, दंतुल आदि विशाल भयकारी अपने राक्षस अनुचरो के भड़काने पर भी उसने अंत में यह सबको बता ही दिया-“ खर दूषण मो सम बलवंता. तेहि को मारे बिनु भगवंता. यही सन हठी हम करबी लड़ा ई.
- उनकी विनति पर श्री राम और लक्ष्मण जी ने इन राक्षसों के साथ युद्ध कर इनका अंत किया तथा सभी को खर दूषण के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई इसके पश्चात इस स्थान पर लक्ष्मणेश्वर महादेव जी की स्थापना की थी व इस स्थान का नाम खरौद पडा़.
- भावार्थ:-अपने बाहुबल से पृथ्वी के बड़े भारी बोझ को नष्ट करने वाले, खर दूषण और विराध के वध करने में कुशल, रावण के शत्रु, आनंदस्वरूप, राजाओं में श्रेष्ठ और दशरथ के कुल रूपी कुमुदिनी के चंद्रमा श्री रामजी! आपकी जय हो॥ 3 ॥
- आज भी हम ऐसे ही आतंकवाद के दौर से गुजर रहे हैं जब नीरीह लोग बेवजह मारे जा रहे हैं, आतंकवाद एक पूर्ण विकसित साम्राज्य द्वारा प्रायोजित है और ऐसे क्षेत्र मे केंद्रित है जहां भारत पूरी तरह अपना अधिकार नहीं कर पा रहा और कई खर दूषण अपनी चौकी स्थापित किये बैठे हैं ।
- ऋ क्कभ्रमर गीत सार; पृ. 14त्र् दूसरा कारण यह कि पौराणिक अवतारवाद के प्रतिपादन में सूर की वृनि लीन नहीं हुई है क्योंकि ह्यजिस ओज और उत्साह से तुलसीदास जी ने मारीच, ताड़का, खर दूषण आदि के निपात का वर्णन किया है उस ओज और उत्साह से सूरदास जी ने बकासुर, अघासुर, कंस आदि के वध और इंद्र के गर्व मोचन का वर्णन नहीं किया है।
- राम का युद्ध खर दूषण से हुआ ; राम और रावण (दो भिन्न संस्कृतियों) के बीच एक बडे युद्ध की रूपरेखा जो दण्डकारण्य में तैयार हुई वह पूरी तरह से आर्य-द्रविड संघर्ष या इस तरह के किसी तर्क का अक्षरक्ष: सत्य आख्यान नहीं माना जा सकता चूंकि रावण से युद्ध करने वाली राम की सेना दण्डकवन और निकटवर्ती आम जनजातियों की निर्मित थी।