गङ्गा वाक्य
उच्चारण: [ ganeggaaa ]
उदाहरण वाक्य
- जैसे-पंकज, गंगा, चंचल, कंजूस, कंठ, ठंडा, संत, संध्या, मंदिर, संपादक, संबंध आदि (पङ्कज, गङ्गा, चञ्चल, कञ्जूस, कण्ठ, ठण्डा, सन्त, मन्दिर, सन्ध्या, सम्पादक, सम्बन्ध वाले रूप नहीं) ।
- तब हिंदी वर्तनी के सामने कुछ मूलभूत समस्याएं थीं, जैसे पिए-पिये, हुई-हुयी, लताएं-लतायें, आदि द्विरूप, पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का उपयोग (गंगा या गङ्गा?), विभिक्ति चिह्नों को शब्द के साथ जोड़कर लिखना है या अलग (राम ने या रामने) इत्यादि।
- गङ्गा (सही) को गंगा (गलत) लिख देने से हाथ-पैरों को अधिक कष्ट नहीं देना पढ़ता इसलिए हमारे देश में आज हर नियम कानून ताक पर रख दिया जाता है कि जी हाथ-पैरों को अधिक कष्ट न देना पढ़े क्योंकि सीटबेल्ट या हेलमेट पहनने के लिए जो थोड़ा हाथ हिलाने पढ़ेंगे उससे अपार कष्ट होगा।
- इसी तरह नीचे दिए गए शब्द हालांकि दो तरह से लिखे जा सकते हैं लेकिन बेहतर हो कि कविता कोश के सहयोगी कविता कोश में पहले रूप का ही उपयोग करें जैसे ' गङ्गा ' की जगह ' गंगा ' लिखें और ' चञ्चल ' की जगह ' चंचल ' लिखें क्योंकि आजकल हिन्दी में प्राय: यही रूप प्रचलन में हैं ।
- और वैसे भी यदि आप स्वयं भी उच्चारण करके देखें तो पाएंगे कि बिन्दी वाले शब्दों का उच्चारण करते समय जीभ मुंह के विभिन्न भागों को छूती है जैसे गङ्गा में केवल गला थोड़ी देर के लिए बन्द होता है और जीभ हवा में रहती है इसी प्रकार कञ्चन, खण्डन, द्वन्द, और कम्पन सभी में जीभ मुंह के अलग-अलग भागों को छूती है।
- जैसे, लिए-लिये, लताएं-लतायें, गई-गयी आदि हिंदी के द्विरूपी शब्दों में प्रथम का उपयोग, यानी ए-ई वाले रूपों का उपयोग, पंचमवर्ण के स्थान पर अनुस्वार का उपयोग (संबंध न कि सम्बन्ध, गंगा न कि गङ्गा, डंडा न कि डण्डा, इत्यादि), अंकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंकों का उपयोग (1, 2, 3, न कि १, २, ३), इत्यादि, अनिवार्य है।