गाणपत्य वाक्य
उच्चारण: [ gaaaneptey ]
उदाहरण वाक्य
- गाणपत्य दीपों में गणपति, हाथी, मूषक, सर्प, शिवलिंग और रिद्धि-सिद्धि की आकृतियों को बनाया जाता है तो सौर दीप में सूर्य की आकृति बनाई जाती हैं।
- ठीक वैसे ही जैसे महादेव जी (शंकर) की उपासना करने वाले शैव, देवी (शक्ति) को अपना ईष्ट मानने वाले शाक्त और गणेश जी की पूजा करने वाले गाणपत्य कहलाते है।
- चाहे आप कापालिक हो या गाणपत्य, शैव हो या शाक्त प्रत्येक सम्प्रदाय क़ी नीति निर्धारक नीतियों के अनुसरण का मूल उद्देश्य अर्थ, धर्म, काम एवं अंत में मोक्ष प्राप्त करना ही है.
- देवीपुराण के रचयिता वेदव्यास जी को यह पहले से ही ज्ञात था कि कलियुग में लोग शाक्त, वैष्णव, शैव या गाणपत्य सम्प्रदाय के नाम पर परब्रह्म परमात्मा में भेदभाव करके संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर देंगे।
- उज्जयिनी में साधना करने वाले साधकों में शैव, शाक्त, गाणपत्य, वैष्णव और सौर ''-तथा इन्हीं से सम्बदध भैरव, योगिनी आदि सभी प्रकार के देवी-देवताओं के साधक प्राचीन काल से रहे हैं ।
- हीनयान व महायान के अन्तर्भूत अष्टादश सम्प्रदाय, शैव, पाशुपत, कापालिक, कालामुख आदि माहेश्वर, सम्प्रदाय, पांचशत्र, भागवत आदि वैष्णव सम्प्रदाय तथा गाणपत्य, सौर आदि विभिन्न धर्म सम्प्रदाय का प्रभाव भी कम न था।
- शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, जैन एवं बौद्ध धर्मो के सभी संप्रदायों में ‘ ह्रीं ', ‘ कलीं ' एवं ‘ श्रीं ' आदि बीजों का मंत्रसाधना में समान रूप से प्रयुक्त होना इसका साक्ष्य है।
- इसी कारण आर्य संस्कृति में पनपे शैव, शाक्त, वैष्णव, गाणपत्य, जैन, बौद्ध, सिक्ख आदि सभी धर्म-संप्रदायों में उपासना एवं कर्मकांड की पद्धतियों में भिन्नता होने पर भी वे सब गौ के प्रति आदर भाव रखते हैं।
- ये दोनों गीताएं योगशास्त्र के गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण हैं, किंतु योगेश्वर श्रीकृष्ण द्वारा कही गई ‘ श्रीमद्भगवद्गीता ' तो विश्वविख्यात हो चुकी है, परंतु विघ्नेश्वर श्रीगणेश द्वारा उपदिष्ट ‘ गणेशगीता ' केवल गाणपत्य संप्रदाय के मध्य ही सीमित रह गई है।
- इन पञ्च महाभूतो को अलग अलग प्रकार से स्वतंत्र रूप से मानने वाले-गाणपत्य (गणपति उपासक), शाक्त (शक्ति या दुर्गा उपासक), शैव (शिव उपासक), भागवत (विष्णु उपासक) एवं कापालिक (भैरव आदि उपासक).