चंगेज़ ख़ाँ वाक्य
उच्चारण: [ chengaej khan ]
उदाहरण वाक्य
- इतिहासकार ' निज़ामुद्दीन अहमद' ने ख़िलजी को चंगेज़ ख़ाँ का दामाद और कुलीन ख़ाँ का वंशज, 'बरनी' ने उसे तुर्कों से अलग एवं 'फ़खरुद्दीन' ने ख़िलजियों को तुर्कों की 64 जातियों में से एक बताया है।
- इतिहासकार ' निज़ामुद्दीन अहमद ' ने ख़िलजी को चंगेज़ ख़ाँ का दामाद और कुलीन ख़ाँ का वंशज, ' बरनी ' ने उसे तुर्कों से अलग एवं ' फ़खरुद्दीन ' ने ख़िलजियों को तुर्कों की 64 जातियों में से एक बताया है।
- जुम्ममन का घर फिर क्यों जले ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िए छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ़ दोस्त मेरे मजहबी नग़मात को मत छेड़िए
- कुछ ऐसे लोग हुए हैं जैसे कि बाबर, जो महान एशियाई विजेता तैमूर लंग का पोता था और गंगा नदी की घाटी के उत्तरी क्षेत्र से आए विजेता चंगेज़ ख़ाँ, जिसने खैबर पर क़ब्ज़ा करने का निर्णय लिया और अंतत: पूरे भारत पर क़ब्ज़ा कर लिया।
- काग्रेस झि क्यों? सारा संसार ही कांपने लगा है अब तो मोदी के भय से क्योंकि चंगेज़ ख़ाँ या तैमूर लंग जैसे उज्जड लोगों से कौन मुकाबला करे| जिस आदमा की अपनी इज्जत न हो वह दूसरों की इज्जत रहने नहीं देता| कोई मर्द नहीं मिला तो किसी नारी से पंगे लेने लग जाता है हिज्जड़ा|
- हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
- हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं ; जुम्मन का घर फिर क्यों जले ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ मिट गये सब,क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
- (यह तातारियों के फ़ित्ने की तरफ़ इषारा है जहां चंगेज़ ख़ाँ और उसकी क़ौम ने तमाम इस्लामी मुल्कों को तबाह व बरबाद कर दिया और कुत्ते, सुअर को अपनी ग़िज़ा बनाकर ऐसे हमले किये के “ ाहरों को ख़ाक में मिला दिया) यह सुनकर एक “ ाख़्स ने कहा के आप तो इल्मे ग़ैब की बातें कर रहे हैं तो आपने मुस्कुराकर इस कलबी “ ाख़्स से फ़रमाया ऐ बरादरे कल्बी! यह इल्मे ग़ैब नहीं है बल्के साहेबे इल्म से तअल्लुम है।
- हिन् दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए अपनी कुरसी के लिए जज् बात को मत छेड़िए हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए ग़र ग़लतियाँ बाबर की थी ; जुम् मन का घर फिर क् यों जले ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िए छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ़ दोस्त मेरे मजहबी नग़मात को मत छेड़िए