चाणक्य पुरी वाक्य
उच्चारण: [ chaaneky puri ]
उदाहरण वाक्य
- मजदूरों पर हुये इस दमन के खिलाफ दिल्ली में उत्तराखण्ड निवास, चाणक्य पुरी (निकट चाणक्य पुरी थाना), में 11 जून (मंगलवार), सुबह 11 बजे, विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है।
- मजदूरों पर हुये इस दमन के खिलाफ दिल्ली में उत्तराखण्ड निवास, चाणक्य पुरी (निकट चाणक्य पुरी थाना), में 11 जून (मंगलवार), सुबह 11 बजे, विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है।
- इस दमन के किलाफ जहाँ जिला मुख्यालय पर मज़दूर पंचायत का ऐलान किया गया वहीं दिल्ली में उत्तराखण्ड निवास, चाणक्य पुरी (निकट चाणक्य पुरी थाना), पर विरोध-प्रदर्शन कर उत्ताखण्ड के मुख्यमन्त्री के नाम ज्ञापन दिया।
- इस दमन के किलाफ जहाँ जिला मुख्यालय पर मज़दूर पंचायत का ऐलान किया गया वहीं दिल्ली में उत्तराखण्ड निवास, चाणक्य पुरी (निकट चाणक्य पुरी थाना), पर विरोध-प्रदर्शन कर उत्ताखण्ड के मुख्यमन्त्री के नाम ज्ञापन दिया।
- कभी पल भर में दिल्ली पहुँच जाती, चाणक्य पुरी के घर में जिसके दरवाज़े पर वह अमलतास का पेड़ था जहाँ वह दरबान बैठा करता था तो कभी अपने लंदन के घर के दरवाज़े पर अमलतास फूलों से लदा-फंदा दिखने लगता उसे।
- कभी पल भर में दिल्ली पहुंच जातीं चाणक्य पुरी के उस घर में, जिसके दरवाजे पर वह अमलतास का पेड़ था...वहीं, जहां वह दरबान बैठा करता था, तो कभी अपने लंदन के इस घर के दरवाजे पर अमलतास फूलों से लदा-फंदा दिखाई देने लगता उसे।
- रास्ते में फ्लाईओवर के ऊपर से दिखतीं दिल्ली कैन्टॉन्मेन्ट (दिल्ली छावनी) रेलवे स्टेशन पर खड़ी रेलगाड़ियां, धौला कुआं पर खूबसूरत-से दिखने वाले सड़कों के लूप, फिर चाणक्य पुरी से होकर गुज़रते हुए तीन मूर्ति चौक पर लगी मूर्ति, साफ-सुथरी-लम्बी-चौड़ी अकबर रोड, और फिर इंडिया गेट देखकर बच्चों की खुशी का पारावार न था...
- रास्ते में फ्लाईओवर के ऊपर से दिखतीं दिल्ली कैन्टॉन्मेन्ट (दिल्ली छावनी) रेलवे स्टेशन पर खड़ी रेलगाड़ियां, धौला कुआं पर खूबसूरत-से दिखने वाले सड़कों के लूप, फिर चाणक्य पुरी से होकर गुज़रते हुए तीन मूर्ति चौक पर लगी मूर्ति, साफ-सुथरी-लम्बी-चौड़ी अकबर रोड, और फिर इंडिया गेट देखकर बच्चों की खुशी का पारावार न था...
- नन्हा ही सही, अमलताश का नन्हा-सा पेड़ एक नहीं कई-कई गुच्छों के साथ पीले पंखुड़ियों के कालीन पर उसके स्वागत में उसके अपने दरवाज़े पर खड़ा था, वह भी यहाँ इंग्लैंड में, हर तपन से उसकी रखवाली कर रहा था, छाँव दे रहा था उसे, जैसे कभी चाणक्य पुरी के अम्मा बाबा के घर में दिया करता था।
- वापस घर में लौटते ही पति ने मजाक किया, “ कल देखना पूरा पेड़ निकल आएगा वैसे ही चाणक्य पुरी की तरह ही...फूलों से लदा-फंदा, और खड़ा हो जाएगा तुम्हारे दरवाजे पर!” रिधू भी तो यही चाहती थी, बिना कोई ज़बाव दिए, बस मन-ही-मन मुस्कुराकर रह गई...क्यों नहीं, देखना ज़रूर ऐसा ही होगा एक दिन!दिन क्या, महीनों यूं ही निकल गए उस बेसब्र इन्तजार में ।