चान्द्रायण वाक्य
उच्चारण: [ chaanedraayen ]
उदाहरण वाक्य
- ब्रह्मवैवर्त पुराण श्रीकृष्ण जन्म खण्ड में अनेक पाप प्रायश्चितों के लिए चान्द्रायण, कृच्छ चान्द्रायण आदि व्रत उपवास करने के साथ-साथ सोमपान पर निर्वाह करने और यजन करने का निर्देश है ।
- ब्रह्मवैवर्त पुराण श्रीकृष्ण जन्म खण्ड में अनेक पाप प्रायश्चितों के लिए चान्द्रायण, कृच्छ चान्द्रायण आदि व्रत उपवास करने के साथ-साथ सोमपान पर निर्वाह करने और यजन करने का निर्देश है ।
- अन्य उपवासों से चान्द्रायण व्रत में यह विशेषता है कि इसमें भोजन का घटाना और बढ़ाना एक नियम और क्रम से होता है, जिससे उसका विपरीत प्रभाव तनिक भी नहीं पड़ता।
- हंस भिक्षु गोमूत्र को ग्रहण करने वाला तथा नियमित रूप से चान्द्रायण व्रत का पालन करता है यह संन्यासी योग साधना के मार्ग पर चल कर मोक्ष की खोज करता है.
- कलियुग में एक बार माधव या गोविन्द नाम के कीर्तन से यहाँ जीव की जैसी शुद्धि होती है, वैसी इस जगत् में पराक, चान्द्रायण तथा तप्त कृच्छ्र आदि बहुत-से प्रायश्चित्तों द्वारा भी नहीं होती।
- अर्थ-हे विनता पुत्र! प्रातः मध्यान्ह तथा शाम को जो तीनों संध्याओं में तुलसी का सेवन करता है, उसकी काया वैसी ही शुद्ध हो जाती है जैसे कि सैकडो़ं चान्द्रायण व्रतों से होती है।
- जिन पापों का यहां हम विचार कर रहें हैं उनके प्रायश्चित के लिए-चान्द्रायण व्रत, महासांतपन व्रत, सांतपन व्रत, गोदान इत्यादि करना चाहिए।……….इस लेख को आरंभ से पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ पर पढ़ सकते हैं।
- · ' स्कन्द पुराण ' के अनुसार चतुर्मास के दिनों में पलाश (ढाक) के पत्तों में या इनसे बनी पत्तलों में किया गया भोजन चान्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।
- · ' स्कन्द पुराण ' के अनुसार चतुर्मास के दिनों में पलाश (ढाक) के पत्तों में या इनसे बनी पत्तलों में किया गया भोजन चान्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।
- इसी तथ्य को लोगों की समझ में बैठाने के लिए शास्त्रों में कहा गया है-जैसे ” यदि प्रातः दोपहर और संध्या के समय तुलसी का सेवन किया जाय तो उससे मनुष्य की काया इतनी शुद्ध हो जाती है जितनी अनेक बार चान्द्रायण व्रत करने से भी नहीं होती।