छान्दोग्य उपनिषद् वाक्य
उच्चारण: [ chhaanedogay upenised ]
उदाहरण वाक्य
- वसुदेवनंदन कृष्ण ने घोर अंगरिस को जीवन रस की दीक्षा देते हुए छान्दोग्य उपनिषद् में कहा कि अपनी भूख, अपनी प्यास, अपने अकेलेपन को इतनी गहराई से अनुभव करना कि वह सबकी भूख, सबकी प्यास, सबका अकेलापन बन जाय ।
- छान्दोग्य उपनिषद् में ब्रह्म को ‘ तज्जलान् ' कहा गया है, अर्थात् वह (तत्) जो जगत् को जन्म देता है (ज), अपने में लीन कर लेता है (ला) और कायम रखता है (अन्).
- शास्त्र के रूप में ‘ गणित ' का प्राचीनतम प्रयोग लगध ऋषि द्वारा प्रोक्त वेदांग-ज्योतिष नामक ग्रन्थ के एक श्लोक में माना जाता है 1 पर इससे भी पूर्व छान्दोग्य उपनिषद् में सनत्कुमार के पूछने पर नारद ने जो 18 अधीत विद्याओं की सूची प्रस्तुत की है, उसमें ज्योतिष के लिये ‘
- प्राण-विद्या: छान्दोग्य उपनिषद् में सत्यकाम जाबाल के द्वारा वैयाघ्रपद्य गोश्रुति को सुनाई गई इस कहानी का उल्लेख मिलता है, जिसमें प्राण की श्रेष्ठता को बताने के क्रम में सबसे पहले वे कहते हैं कि ….यदि इस कथा को शुष्क स्थाणु के प्रति भी कहा जाए तो उसमें भी शाखा उत्पन्न हो जाएगी और पत्ते फूट पड़ेंगे।
- पूर्ण पुरुष की मनोकामना थी कि यह जननी भारत भूमि सचमुच स्वर्ग भूमि बन जावे और अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कर फिर से जगत गुरु की पदवी पर विराजमान हो जावे और इसके प्रधान लाल किला के मंच पर खड़े होकर संसार भर को यह संदेश दे सकें जैसा कैकय देश के राजा ने (जिसकी कथा छान्दोग्य उपनिषद् के प्रपाठक 7वा खण्ड 12 में है) पूरे अभिमान के साथ कहा था |