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जपुजी साहिब वाक्य

उच्चारण: [ jepuji saahib ]

उदाहरण वाक्य

  1. जपुजी साहिब में एक श्लोक प्रकृति संरक्षण की भावना पर निर्भर है उसमें प्रकृति और मानव को परस्पर एक-दुसरे का पूरक और अन्योन्याश्रित बतलाया है गुरू नानक देव के अनुसार पवन गुरू है पानी पिता है, धरती माता है तात्पर्य यह है कि पांच तत्वों से निर्मित मानवशरीर का संरक्षण भी जल और पृथ्वी कर रही है और पवन रूपी गुरू उसे शिक्षा प्रदान कर रहे है और जीव को अपने अपने कर्मानुसार शुभ और अशुभ फल को प्रािप्त् हो रही है ।
  2. जासं, लुधियाना साप्ताहिक नाम सिमरन अभ्यास समागम का आयोजन बुधवार को गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब में किया गया। समागम में बीबी रविंदर कौर पटियाला, बीबी मंदीप कौर खन्ना वाले और भाई मनिंदर सिंह श्रीनगर वालों ने कीर्तन कर संगत को निहाल किया। इसके अतिरिक्त भाई राजिंदर पाल सिंह ने जपुजी साहिब और श्री चौपाई साहिब के पाठ संगति रूप में किए। भाई बलविंदर सिंह और भाई गुरदास गुरमति मिशनरी कॉलेज के विद्यंार्थियों ने श्री सुखमणि साहिब के पाठ किए। इस अवसर पर प्रितपाल सिंह, अवतार सिंह, कुलदीप सिंह, गुर
  3. अमृत तैयार करके छकाना तीसरे पहर गुरु जी ने लोहे का बाटा मँगवा कर उसमें सतलुज नदी का पानी डाल कर अपने आगे रख दिया | पाँच प्यारों को सजा कर अपने सामने खड़ा कर लिया | फिर अपने बांये हाथ से बाटे को पकड़कर दाँये हाथ से खंडे को जल में घुमाते रहे | मुख से जपुजी साहिब आदि बाणियो का पाठ करते रहे | पाठ की समाप्ति के बाद अरदास करके पाँच प्यारों को बारी-२ पहले अमृत के पाँच-पाँच घूँट पिलाये | फिर पाँच-२ बार हरेक की आँखों पर इसके छींटे मारे |
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