डाल्टेनगंज वाक्य
उच्चारण: [ daaleteneganej ]
उदाहरण वाक्य
- रांची, 20 अगस्त।मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने हीरामन महतो तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मथुरेश कुमार वर्मा तत्कालीन सहायक अभियंता एवं शिवमुनी राम तत्कालीन कनीय अभियंता, पथ निर्माण विभाग, पथ प्रमण्डल डाल्टेनगंज को निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही का निदेश दिया है।
- राँची के पास ही डाल्टेनगंज से १ ० किलोमीटर पहले बेतला में ' बेतला नेशनल पार्क ' है, जहाँ वन्य प्राणियों की भरमार थी तब, जैसे, हाथी, बाघ, भालू, बईसान, कई प्रकार के हरिण, और भी तरह-तरह के जानवर..
- अपेक्षाकृत बड़े राज्यों को विभाजित करके राज्य बनाये जाएं तो इससे विकास कार्य और प्रशासनिक रूप से आग जनता को सहूलियत ही होगी, वरना पहले दुमका या डाल्टेनगंज की जनता को छोटे-मोटे कामों के लिए भी हजारों रुपए खर्च करके चार-सात दिन बर्बाद करके पटना जाना पड़ता था।
- कॉरपोरेट कार्यालय अन्य परिमंडल परिमंडल कार्यालय एस० एस० ए० असैनिक विद्युत ई० टी० आर० ई० टी० पी० रांची जमशेदपुर धनबाद हजारीबाघ डाल्टेनगंज दुमका स्थाई टेलीफोन मोबाइल डब्लयू० येल० येल० इन्टरनेट डाटा सिर्किट एम० पी० एल० एस०-वी० पी० येन० आई० येन० सेवाएं पोस्टपैड प्रेपैड (ऍफ़० येल० येल० पी०)
- भाकपा माले ने एक विधानसभा चुनाव के पहले एमसीसी के खिलाफ पर्चा जारी किया-मध्य बिहार के औरंगाबाद, जहानाबाद, गया व दक्षिणी बिहार के गिरिडीह, चतरा, डाल्टेनगंज व हजारीबाग जिलों में चुनाव बहिष्कार की घोषणा करने वाले एमसीसी का जनता दल के साथ गुप्त समझौता हुआ है।
- यह राशि केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान, धुर्वा, राँची में प्रेक्षा गृह, विश्राम गृह, प्रशिक्षु मेस, अधिनायक अनुदेशकों के आवास निर्माण, 22 जिला इकाईयों के लिए गृह रक्षा वाहिनी कार्यालय, प्रशिक्षण केन्द्रों के लिए जमीन का अधिग्रहण एवं भवनों के निर्माण की नई योजनाओं पर तथा क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र, हजारीबाग, दुमका एवं डाल्टेनगंज के स्वीकृत आवासीय/गैर-आवासीय भवनों के अवशेष निर्माण कार्य पर खर्च की जायेगी।
- सरकारी बयान और आंकड़ों में लगातार विकास के पथ पर अग्रसर बिहार की दशा मतिभ्रम के शिकार उस मुसाफिर जैसी हो गयी है, जिसने अपने सफर का लक्ष्य दिल्ली पहुंचना निर्धारित किया था, रेल टिकट भी दिल्ली का बनवाया था, पर यात्रा के लिए जिस गाड़ी में वो जा बैठा था, वो गाड़ी दिल्ली नहीं डाल्टेनगंज जा रही थी।
- हरिवंश प्रभात चूंकि एक प्राइमरी टीचर रहे और कवि-स्वभाव के कारण अपनी जिम्मेवारी को अधिकतम ईमानदारी के साथ निभाने वालों में से एक, लिहाजा पूरे सेवा-काल के दौरान पलामू के सुदूर ग्रामीण अंचलों से लेकर पहले अपने पैतृक गांव कोयल-पार के पूर्वडीहा और बाद में डाल्टेनगंज के हमीदगंज मोहल्ले की रिफ्यूजी कॉलोनी तक की अथक दौड़ लगाते और अनवरत धूल फांकते रह गये।