तैत्तिरीय संहिता वाक्य
उच्चारण: [ taitetiriy senhitaa ]
उदाहरण वाक्य
- (1) तैत्तिरीय संहिता (कृष्णयजुर्वेद की) (2) ऋकृ, (3) साम, (4) कण्व (शुक्लयजुर्वेदीय) तथा (5) अथर्व-इन वैदिक संहिताओं का भाष्य सायण की महत्वपूर्ण रचना है।
- तैत्तिरीय संहिता [167] में आया है कि 'जो लोग संवत्सर सत्र के लिए दीक्षा लेने वाले हैं उन्हें एकाष्टका के दिन दीक्षा लेनी चाहिए, जो एकाष्टका कहलाती है।
- तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और ऐतरेय ब्राह्मण में इन्हे त्रिविक्रम रूप से भी प्रस्तुत किया गया है, जिनकी कथा पुराणों में वामन अवतार के रूप में मिलती है।
- तैत्तिरीय संहिता [266] एवं तैत्तिरीय ब्राह्मण [267] से प्रकट होता है कि पिता, पितामह एवं प्रपितामह तीन स्व-सम्बन्धी पूर्वपुरुषों का श्राद्ध किया जाता है।
- तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और ऐतरेय ब्राह्मण में इन्हे त्रिविक्रम रूप से भी प्रस्तुत किया गया है, जिनकी कथा पुराणों में वामन अवतार के रूप में मिलती है।
- दशमलव पद्धति एवं 1012 परार्ध तक की संख्याओं की चर्चा महर्षि मेघातिथि करते हैं तथा कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय संहिता के एक मंत्र में यह संख्या 1019 तक जा पहुँची हैं।
- तैत्तिरीय संहिता में एक अनुष्ठान का महत्व स्पष्ट करने से ऐसा आभासमिलता है कि इस युग के राजा विश् के साथ ही राष्ट्र पर भी अपना अधिकारस्थापित करने के लिए चिन्तित थे.
- तैत्तिरीय संहिता [192] में आया है कि ' जो लोग संवत्सर सत्र के लिए दीक्षा लेने वाले हैं उन्हें एकाष्टका के दिन दीक्षा लेनी चाहिए, जो एकाष्टका कहलाती है।
- तैत्तिरीय संहिता तथा ऐतरेय ब्राह्मण में मनु के विषय में एक गाथा है, जिसमें उन्होंने अपनी सम्पत्ति को अपने पुत्रों में बाँटा है और अपने पुत्र नाभानेदिष्ठ को कुछ नहीं दिया है।
- तैत्तिरीय संहिता १. ७. ११. १ में अग्नि द्वारा एक अक्षर के द्वारा वाक् की उज्जिति, अश्विनौ द्वारा दूसरे अक्षर से प्राणापानौ की उज्जितियों आदि का वर्णन है ।