दीवार में एक खिड़की रहती थी वाक्य
उच्चारण: [ divaar men ek khideki rheti thi ]
उदाहरण वाक्य
- ' नीलाक्षी का कुछ कहना और गौरव का कुछ करना-कहना ' में दीवार में एक खिड़की रहती थी के मास्टर जी और उनकी पत्नी के बीच के संवादों की झलक मिलती है, लेकिन जल्द ही मुझे आभास होता है कि आपका ऑब्ज़रवेशन उनसे अलग है और आपकी शैली में भी एक अलग किस्म की रोचकता और आकर्षण है।
- जैसे कुणाल सिंह की कहानी है ‘ सनातन बाबू का दांपत्य ' … मैं कभी नहीं समझ पाया कि इसे इतना महत्व क्यूं दिया गया? अगर सवाल शिल्प का है तो हमारे यहां ‘ इस दीवार में एक खिड़की रहती थी ' जैसी उत्कृष्ट रचना पहले से ही उपलब्ध है और कथ्य के बारे में तो कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं है।
- रजा पुरस्कार, वीरसिंह देव पुरस्कार, सृजनभारती सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, भवानीप्रसाद मिश्र पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, पं. सुन्दरलाल शर्मा पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को उपन्यास ' दीवार में एक खिड़की रहती थी ' के लिए वर्ष 1999 का ' साहित्य अकादमी ' पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
- काफी देर तक तो मैं चुप हो कर सुनता रहा, फिर मैंने विष्णु से कहा कि ज्ञान ने जैसी शानदार कहानियां लिखी हैं अगर वे न होतीं तो तुम्हारे मध्य प्रदेश के वे महारथी विनोद कुमार शुक्ल, नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे और दीवार में एक खिड़की रहती थी, जैसे उपन्यास न लिख पाते, न अपनी विशिष्ट शैली विकसित कर पाते।
- ' ' हालाँकि, इस टिप्पणी से पहले वे निर्देशकों द्वारा प्रदर्शन आलेख तैयार करने को ‘ उनकी अपार रचनात्मक क्षमताओं का परिचायक ' मानते हुए उदाहरण के तौर पर रतन थियम के चक्रव्यूह के अलावा मोहन महर्षि के आइंस्टाइन, राजा की रसोई, दीवार में एक खिड़की रहती थी और साँप सीढ़ी (अरुण मुकर्जी के जगन्नाथ, भानुभारती के चन्द्रमा सिंह उर्फ़ चमकू, एक किसान की कहानी, कथा कही एक जले पेड़ ने आदि नाटकों की चर्चा करते हैं.
- अपने पहले कविता संग्रह लगभग जयहिंद और वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह के अलावा नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे और दीवार में एक खिड़की रहती थी जैसे उपन्यासों से हिंदी साहित्य में दूसरों के लिखे से एकदम अलग की तरह अपना मुआवरा गढ़ने वाले सुप्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल मानते हैं कि आज विकास के साथ-साथ बाज़ार चलता हुआ दिखाई देता है, विकास की दिशा वहीं खत्म होती है, जहां तक बाजार पहुँच चुका होता है.