दोस्त और दोस्ती वाक्य
उच्चारण: [ doset aur doseti ]
उदाहरण वाक्य
- अहम् पर कविता-हार किसी को मंज़ूर नहीं चार दिनों का सब्र भी नहीं किसी को पल पल भारी लगता जीवन का जब अहम् हो गया जान से प्यारा क्या करना फिर दोस्त और दोस्ती का...
- बल्कि हमेशा के लिये होती है तो आज कुछ पन्क्तियां दोस्त और दोस्ती के लिये… ” उलझन मे हूं, या दुख मे मै, दोस्त है मेरा, फ़िक्र करेगा! दूर है फ़िर भी [...] अश्रेणीबद्ध हां जी हां!!
- कुछ सर्वाधिक, व्यक्तित्व और वफादार दोस्त हैं, दोस्त और दोस्ती पर इन कोमल और भावुक पंक्तियाँ आप अधिक प्यार से अपने दोस्तों के बारे में सोच कर देगा लिखता मनाया के दिल सीधे से आ रहा है.
- इसके बाद और ढेर सारी फिल्मों ने दोस्त और दोस्ती के फॉर्मूले को भुनाना चाहा पर दोस्ताना (1980) और याराना (1981) के अलावा कोई फ़िल्म इतनी सफल ना रही, पेश है इन दोनों फिल्म्स के टाइटल गीत:
- जबकि दोस्त और दोस्ती के फ़ोक़दान को ग़ुरबत व तन्हाई शुमार करते हैं: (فقد الاحبه غربه) (5) “ दोस्तो का न होना ग़ुरबत व तन्हाई है ” और ग़रीब व तन्हा दर हक़ीक़त वह शख़्स है जिसका कोई दोस्त न हो।
- क्या अनुपम, उत्कृष्ठ दोस्ती का प्रमाण है उन दोनों की दोस्ती! सुदामा के घाव जब श्री कृष्ण की पीठ पर देख कर माता रुकमनी बोली-नाथ ये क्या? आपकी ये दशा कैसे? तब प्रभु ने दोस्त और दोस्ती की महिमा का बखान करते हुए कहा..
- इसके बाद और ढेर सारी फिल्मों ने दोस्त और दोस्ती के फॉर्मूले को भुनाना चाहा पर दोस्ताना (1980) और याराना (1981) के अलावा कोई फ़िल्म इतनी सफल ना रही, पेश है इन दोनों फिल्म्स के टाइटल गीत: दोस्ताना (1980): संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, आवाजें-किशोर कुमार और मोहम्मद रफी
- कुछ लोग दोस्त और दोस्ती से ज़्यादा तन्हाई और मतलब बर आवरी को तरजीह देते हैं और बड़े फ़ख़्र से कहते हुए नज़र आते हैं कि मैं किसी को दोस्त नही बनाता क्योकि दोस्ती, फ़ुज़ूल काम और बेकार लोगों का शेवा है, जो फ़क़्त वक़्त गुज़ारने के लिये इकठ्ठे होते हैं।
- क्या कभी हम फिर एक बार दोस्त और दोस्ती पर यकीन कर पाएंगे! क्या एक बार फिर श्री कृष्ण और सुदामा जैसे दोस्तों को ये संस्कृति देख पायेगी? क्या फिर हम कभी ये दोस्ती हम कभी न तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे गीत को गुनगुना पाएंगे???
- ' दोस्ती ' टेम्पररी चीज होती है! (व्यंग्य) हमारी समझ में जो आया है वह यही है कि भैया! दोस्ती एक टेम्पररी चीज होती है!....... अब आप फ़िल्मी कहानियों में उतर कर देखो तो दोस्त और दोस्ती को इतनी गहराई तक ले जाते है कि पूछो मत!...