नवल किशोर प्रेस वाक्य
उच्चारण: [ nevl kishor peres ]
उदाहरण वाक्य
- जर्मनी के ट्यबिनगेन विश्वविद्यालय के सहयोग से विश्वभर की तमाम लघु पत्रिकाओं के शब्दों को बचाने की इस मुहिम में लखनऊ की मुंशी नवल किशोर प्रेस के तमाम प्रकाशनों को लिया गया है और संबंधित प्रेस के सहयोग से ऐसा कर पाना इससे जुड़े लोगों के लिए संभव हो पाया है।
- तिलक महाराज, गालिब, रतन नााि सरशार और बहादुर शाह जफर ही नहीं, शाहे इरान, बादशाहे अफगानिस् तान के तत् का लीय अंग्रेज वायसराय सहित तमाम साहित्यिक राजनीतिक हिस् तयां मुंशीजी नवल किशोर से उनके ‘ अवध अखबार ' और ‘ नवल किशोर प्रेस ' से किसी न किसी तरह जुडे ही रहे।
- नवल किशोर प्रेस द्वारा 1928 में प्रकाशित पं: महावीर प्रसाद द्विवेदी की पुस्तक वैचित्र चित्रण का संपादकीय वक्तव्य मुंशी प्रेमचंद ने कुछ इस तरह लिखा-‘भारत वर्ष में नवल किेशोर प्रेस ही एक ऐसी संस्था है जिसने पहले पहल हिंदी में पुस्तक प्रकाशन कार्य शुरू किया और अब तक पूरे उत्साह के साथ करता जा रहा है।
- ' अब नवल किशोर प्रेस के उदार विद्वान स् वामी मुंशी बिशन नारायणजी भार्गव ने साहित्यिक क्षेत्र को और भी विस् तृत करने का विचार किया है और इसी उददेश् य से उन् होंने माधुरी सी सर्वश्रेष् ठ मासिक पत्रिका को जन् म दिया जो इस समय हिंदी भाषा साहित् य की यथा साध् य सेवा कर रही है।
- नवल किशोर प्रेस द्वारा 1928 में प्रकाशित पं: महावीर प्रसाद द्विवेदी की पुस् तक वैचित्र चित्रण का संपादकीय वक् तव् य मुंशी प्रेमचंद ने कुछ इस तरह लिखा-‘ भारत वर्ष में नवल किेशोर प्रेस ही एक ऐसी संस् था है जिसने पहले पहल हिंदी में पुस् तक प्रकाशन कार्य शुरू किया और अब तक पूरे उत् साह के साथ करता जा रहा है।
- अकबरी दरबार के प्रख्यात फ़ारसी कवि उर्फी की स्पष्ट अवधारणा थी-“ उर्फी अच्छे और बुरे सभी लोगों के साथ मिल-जुल कर रहो कि जब इस संसार से विदा लो तो मुसलमान तुम्हें आबे-ज़मज़म से नहलाएं और हिन्दू तुम्हारी चिता सजाएं ” (क़साएदे-उर्फी, मुंशी नवल किशोर प्रेस 1923. पृ 0 97) प्रतीत होता है कि यह शेर लिखते समय उर्फी के समक्ष कबीर का सम्पूर्ण व्यक्तित्व जीवंत हो उठा था.
- सर्च इंजन की मदद से हिंदी जरनलों और पत्रिकाओं तथा मुंशी नवल किशोर प्रेस के उर्दू प्रकाशनों के अन् तर्वस् तु के बारे में सूचना उपलब् ध करवाने के लिए विडियो ग्राफिकल डाटाबेस का सृजन करना, 1947 से 1980 तक की लघु पत्रिकाओं की पहली पीढ़ी के संपादकों और लेखकों के एक आडियो विजुअल डाटाबेस का सृजन, महत् वपूर्ण कृतियों के प्रकाशन और पुनर्प्रकाशन के लिए प्रोत् साहित करना आदि शोधागार की महत् वाकांक्षी योजनाएं हैं।