नाना फड़नवीस वाक्य
उच्चारण: [ naanaa fedenevis ]
उदाहरण वाक्य
- इसलिए दर्शक को इस बात का विश्वास दिलाना था कि इस नाटक का पात्र नाना फड़नवीस एक लोकनाटकीय चरित्र मात्र है-ऐतिहासिक नाटकों का प्रामाणिक, सम्पूर्ण व्यक्तित्व नहीं।
- श्री चंद्रभानु गुप्ता, जिन्हें नानाजी के कारण कई बार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, नानाजी का खूब सम्मान करते थे और उन्हें प्यार से नाना फड़नवीस कहते थे.
- श्री चंद्रभानु गुप्ता, जिन्हें नानाजी के कारण कई बार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, नानाजी का खूब सम्मान करते थे और उन्हें प्यार से नाना फड़नवीस कहते थे.
- श्री चंद्रभानु गुप्ता, जिन्हें नानाजी के कारण कई बार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, नानाजी का खूब सम्मान करते थे और उन्हें प्यार से नाना फड़नवीस कहते थे.
- इस नाटक में घासीराम और नाना फड़नवीस का व्यक्ति-संघर्ष प्रमुख होते हुए भी तेन्दुलकर ने इस संघर्ष के साथ-साथ अपनी विशिष्ट शैली में तत्कालीन सामाजिक एवं राजनैतिक स्थिति का मार्मिक चित्रण किया है।
- घासीराम की हत्या के बाद नाना का चतुराई-भरा भाषण धूर्त्तता और कूटनीति से पूर्ण होने के कारण उनके प्रभुत्व का विलक्षण प्रभाव उत्पन्न करता है और नाना फड़नवीस पुन: नाटक के केन्द्र में आ जाते हैं।
- विजय तेंदुलकर के नाटक ′ घासीराम कोतवाल ′ में ′ नाना फड़नवीस ′ के किरदार में लोगों ने मुझे इस कदर पसंद किया कि असल जिंदगी में भी वे मुझे उस पात्र से अलग करके नहीं देख पाते थे।
- घासीराम हर काल और समाज में होते हैं और हर उस काल और उस समाज में उसे वैसा बनानेवाले और बनाकर मौका ताक उसकी हत्या करनेवाले नाना फड़नवीस भी होते ही हैं-वह बात तेन्दुलकर ने अपने ढंग से प्रतिपादित की है।
- ‘घासीराम कोतवाल ' नाटक में नाना फड़नवीस और तत्कालीन पतनोन्मुख समाज के चित्रण द्वारा (जो समय और स्थान की सीमा में नहीं बँधे-जैसा मैं पहले कह चुका हूँ) कुछ राजनीतिक और विशेष सामाजिक स्थितियों के विषय में तेन्दुलकर को कुछ सत्य उजागर करने हैं, जो सनातन हो गए हैं।
- महाराष्ट्र में पेशवाओं का राज था, नाना फड़नवीस पेशवा के प्रधान थे, कोई एक घासीराम था, ब्राह्मण थे, मराठा सरदार थे, और वे सब ईकाइयाँ अपने-अपने दायरे में बँधी समय के प्रवाह में लकड़ी के लट्ठे की भाँति कभी सटकर तो कभी हटकर, कभी परस्पर को छूती तो कभी टकराती अप्रतिहत प्रवाहित हो रही थीं।