नारलाई वाक्य
उच्चारण: [ naarelaae ]
उदाहरण वाक्य
- भास्कर न्यूज क्च देसूरी ((पाली))देसूरी थाना क्षेत्र के शोभावास गांव में घर से भागे युवक-युवती का पता लगाने के झांसा में लेकर नारलाई गांव के पांच युवकों द्वारा दो महिलाओं से हजारों रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है।
- भास्कर न्यूज क्च देसूरी ((पाली)) देसूरी थाना क्षेत्र के शोभावास गांव में घर से भागे युवक-युवती का पता लगाने के झांसा में लेकर नारलाई गांव के पांच युवकों द्वारा दो महिलाओं से हजारों रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है।
- श्री यशोभद्रसूरिजी व श्री केशवसूरिजी (तपेश्वर) अपने अन्तिम दिनो में नारलाई में ही रहे तथा यहीं पर स्वर्ग सिधारे जिनके स्तूप यहाँ अभी भी विद्यमान है, कहते हैं कि यह स्तूप पासपास ही है और यह दोने स्तूप घटते बढ़ते हैं।
- इसी तरह के झटके नारलाई, घाणेराव, सादड़ी, लांपी, सुमेर, गांथी, बागोल, मगरतलाव, नया गांव, कोट सोलंकियान, पनोता, गुड़ा दुर्जन, गुड़ा गोपीनाथ और इनके आसपास के इलाके में आने के समाचार मिले हैं।
- शोभावास गांव की दो महिलाओं की ओर से कोर्ट के जरिए दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि 31 जुलाई को नारलाई गांव का गणपतिदास पुत्र ओगडदास, शहजाद पुत्र हाजी मोहम्मद, जितेन्द्र सरगरा व नारायण पुत्र भुराराम सरगरा,असलम पुत्र अली खान उनके पास आए थे।
- नारलाई गाँव को यदि मंदिरों की नगरी कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी | इस गाँव में पुरातत्व की द्ष्टी से महत्वपूर्ण, भव्य कलात्मक एवं विशाल बिंबों से सुशोभित शिखरबद्ध ग्यारह जिन मंदिर है | जिन में परस्पर सन्मुख दो पहाडियों पर स्थित शत्रुंजय एवं गिरनार महातीर्थों के लघु स्वरुप भी विद्यमान हैं |
- नारलाई निवासी मातुश्री शांताबेन गणेशमलजी सघंवी परिवार द्वारा शाहंपुर तीर्थ में प. प ू. आ.श ्री अभयशेखर सुरीश्र्वरजी एवं अजीतशेखरसुरीश्र्वरजी म. सा. की निश्रा में विशाल पेमाने पर उपधान तप का आयोजन ३ ० नवम्बर २ ० ११ से किया जा रहा हैं | आप भी जरुर उपधान तप आराधना में जुडने हेतु आज ही फार्म भरकर जमा करावें |
- नारलाई गाँव अपने अनुपम सौंदर्य और संपूर्ण गरिमा के साथ पहाडियों की हरीभरी गोद में बसा हैं | राजस्थान राज्य के पाली जिले में स्थित यह गाँव गोडवाड की प्राचीन पंच तीर्थि का महत्वपूर्ण तीर्थ हैं | आज भी दूर-दूर से जैन यात्री इस पंचतीर्थि के दर्शनार्थ आते हैं | मुम्बई-अहमदाबाद-दिल्ली रेल मार्ग पर स्थित फालना स्टेशन से [...]
- विश्व में चल रही परिवर्तन की हवा विज्ञानने भरी है प्रगतिमय दोड दिन प्रतिदिन संसार हो रहा है छोटा और घर घर में फैली है इंटरनेट की साल आँखखुली दृअष्टि मंडाई क्षितिज पर तो आँखओ के सामने नोबत बजती हुई सुनाई दी हृदय खुश खुशाल हो उठा | छाती गजगज फूल गई उमर पडा साहेलाब बनकर हमारा प्यारा सा नारलाई गाँव...
- गिरनार एवं शत्रुन्जय तीर्थ के प्रतीक माने जाने वाले नारलाई के इन दोनों मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि आबू स्थित देलवाड़ा के जैन मंदिर के निर्माता वास्तुपाल व तेजपाल का ऐसा संकल्प था कि वे शत्रुन्जय व गिरनार तीर्थ के दर्शन करके ही पच्चमक्खान करते थे, जब वे नारलाई आये तो अपने संकल्प के अनुसार यहां दोनों मंदिरों की स्थापना की।