निकिता सिंह वाक्य
उच्चारण: [ nikitaa sinh ]
उदाहरण वाक्य
- जब भी डॉ. तिवारी से पूछा जाता है विशेषज्ञ के रूप में किसी कॉलेज में जाने के लिए उनकी शर्त होती है कि उनके साथ दूसरा विशेषज्ञ डॉ. निकिता सिंह होंगी तभी...
- ‘ हुं ह... ' कुछ सोचने के बाद वह बोले, ‘ हेड साहब के आने तक प्रतीक्षा करना होगा... डॉ. तिवारी और डॉ. निकिता सिंह को मेरे यहाँ ले आओ... । '
- बालिका टीम-अन्नपूर्णी, वैष्णवी, प्रिया राजपूत, अस्मिता पटेल, धनंजयी जंघेल, शांभवी ठाकुर, साक्षी वर्मा, रेणुका साहू, बरनाली दास, निकिता सिंह, अपूर्वा पाल, सरोजनी यादव, रेणुका पटेल और संध्या वर्मा।
- अंग्रेजी में भी भारतीय लेखकों की एक नई फौज आई है जो इस तरह के प्लॉट को उठा रही हैं जिनमें कविता दासवानी, सिद्धार्थ नारायण, प्रीति शिनॉय, निकिता सिंह, नवनील चक्रवर्ती और सचिन गर्ग जैसे लेखक प्रमुख हैं ।
- ग्रुप बी में जीजीपीएस बोकारो की भारती सिंह, क्रिसेंट पब्लिक स्कूल सेक्टर छह के प्रियांशु राज, डीपीएस के अकिया अपोलो विश्वास, ग्रुप सी में क्रिसेंट पब्लिक स्कूल की स्वाति, एमजीएम सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल के मोहित कुमार व चिन्मय विद्यालय की निकिता सिंह क्रमश:
- प्रवीण शुक्ल के पक्ष में बोल रहे थे और उनके तर्क थे कि जब रंजना श्रीवास्तव से अच्छे और उससे अधिक योग्य अभ्यर्थी हैं तब उसका चयन क्यो किया जाए! डॉ0 तिवारी और निकिता सिंह रंजना के पक्ष में अड़ गये.
- आईआईएम पास आउट इरफान आलम, युवा लेखिका निकिता सिंह, पहली महिला मेट्रो ड्राइवर प्रिया सचान, युवा वैज्ञानिक शैलश खरगवाल, सीए टॉपर प्रेमा जयकुमार, युवा आईएएस गोविंद जायसवाल, क्रिकेटर उन् मुक् त चंद ठाकुर, बैडमिंटन प् येयर पीबी संधू तथा विकलांग खिलाड़ी राजकुमार तिवारी को उनके उत् कृष् ट कार्यों को देखते हुए यह पुरस् कार प्रदान किया गया.
- “सर, मुझे जहां तक जानकारी है.... जब भी डॉ. तिवारी से पूछा जाता है विशेषज्ञ के रूप में किसी कॉलेज में जाने के लिए उनकी शर्त होती है कि उनके साथ दूसरा विशेषज्ञ डॉ. निकिता सिंह होंगी तभी.... विश्वविद्यालय में उनके खिलाफ जाने की शक्ति किसी में नहीं है. हिन्दी के प्रतिष्ठित आलोचक हैं.... सत्ता में पैठ है और वी.सी. भी उन्हें मानते हैं.”
- कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 प्रवीण राय ने आहिस्ता से प्रवेश किया. “यस प्रवीण.... इज एवरीथिंग फाइन!” “जी सर. एक्सपर्ट्स डॉ0 श्रेयांष तिवारी और डॉ0 निकिता सिंह आ गए हैं. '' “और हेड साहब....डॉ0 सच्चिदानंद पाण्डे?” डॉ0 सच्चिदानंद पाण्डे विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष थे और विश्वविद्यालय या विश्वविद्यालय के किसी भी कॉलेज में शिक्षक के किसी भी पद के साक्षात्कार में उनका होना अनिवार्य था.
- तभी उन्होंने धण्टी बजायी. वह सन्नाटे को तोड़ना चाहते थे. गेट पर तैनात चपरासी दौड़ता हुआ आया. “चाय '' “जी सर.” चपरासी के मुड़ते ही वह बोले, “किसके नाम पर विचार किया डॉ0 तिवारी? '' उन्होंने विभागाध्यक्ष और डॉ0 निकिता सिंह की ओर देखा. '' रंजना श्रीवास्तव.....” “डा0 साहब रंजना आधे प्रश्नों के उत्तर ही नहीं दे पायी थी.....” डॉ0 प्रवीण राय विनम्रतापूर्वक बोले.