नीमसार वाक्य
उच्चारण: [ nimesaar ]
उदाहरण वाक्य
- भगवनजी, जो अब गुमनामी बाबा के नाम से बेहतर जाने जाते है, एक पूर्ण वैरागी थे, जो नीमसार, अयोध्या, बस्ती और फैजाबाद में किराए के आवास पर रहते थे।
- विद्युत वितरण उपखण्ड, प्रथम सीतापुर के कार्यक्षेत्र में कस्बा नीमसार में नवनिर्मित 33/11 के0वी0 उपकेन्द्र से कस्बा नीमसार एवं अन्य पोशकों को जोड़ने सम्बन्धी कार्य में प्रयुक्त होने वाली ज्वाइंटिंग किट की आपूर्ति का कार्य।
- विद्युत वितरण उपखण्ड, प्रथम सीतापुर के कार्यक्षेत्र में कस्बा नीमसार में नवनिर्मित 33/11 के0वी0 उपकेन्द्र से कस्बा नीमसार एवं अन्य पोशकों को जोड़ने सम्बन्धी कार्य में प्रयुक्त होने वाली ज्वाइंटिंग किट की आपूर्ति का कार्य।
- कृष्ण कुमार मिश्र हरामखोर आर्यों की कथा! नैमिषारण्य, अट्ठासी हजार ऋषियों की पावन तपस्थली नैमिषारण्य, नैमिष और नीमसार यह एक ही नाम है उस जगह के जहां कभी आर्यों की सबसे बड़ी मिशनरी रही, उत्तर भारत में ऋषियों यानी धर्म-प्ररचारकों का सबसे बड़ा गढ़।
- जहां शोज आयोजित किए गए उन कुछ स्कूलों नाम है-” प्रेमा जूनियर हाई स्कूल (नीमसार), बाल शिक्षा स्कूल (महोली), सरस्वती विद्या मंदिर (आलमनगर), सरस्वती जूनियर हाई स्कूल (प्रेमनगर), बाल शिक्षा विद्यालय (मिशीरीख)
- मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटे के दौरान लखनऊ तथा पश्चिमी जिले सहारनपुर में सात-सात सेंटीमीटर, कुंडा, शाहजहांपुर और उरई में पांच-पांच, इगलास, बागपत, औरैया तथा देवबंद में चार-चार, चुर्क, बांदा, नीमसार, मुहम्मदी, संडीला, अमेठी, गरोठा तथा झांसी में तीन-तीन सेंटीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई।
- बस फिर क्या था! नैमिषारण्य (नीमसार) जो कि उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध पौराणिक व प्रमुख तीर्थ स्थल है जाने का कार्यक्रम बनाया | और निकल पड़े चालीस किलोमीटर की सैर करने …… सैर की सैर और तीर्थस्थल का पुण्य … एक पंथ दो काज ……! हम लोगों ने करीब साढ़े आठ बजे नैमिषारण्य के लिए प्रस्थान किया और साढ़े नौ बजे वहां पहुँच गए थे ……
- लेख-निबंधइस संग्रह में 191 पुस्तकें हैंशब्द और देशकाल कुँवर नारायण पृष्ठ 128 मूल्य $ 14. 95कुँवर नारायण द्वारा विभिन्न विशिष्ट अवसरों पर दिए गए व्याख्यान एवं लेख आगे...एक और नीमसार ऋचा नागर ऋचा सिंह पृष्ठ 168 मूल्य $ 14.95संगतिन आत्ममन्थन और आन्दोलन आगे...मसि कागद प्रभाष जोशी पृष्ठ 200 मूल्य $ 19.95‘मसि कागद' जनसत्ता के प्रारम्भिक वर्षों में छपे प्रभाष जोशी के सैकड़ों लेखों और साम्प्रदायिक टिप्पणियों मे से किया गया एक चयन है।