नेहरु-गाँधी परिवार वाक्य
उच्चारण: [ neheru-gaaanedhi perivaar ]
उदाहरण वाक्य
- उनसे पूछा गया की उन्होंने भाजपा शामिल होने का फैसला क्यों किया जबकि उनका नेहरु-गाँधी परिवार पारंपरिक रूप से भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का नेतृत्व कर रहा है, इस पर वरुण का कहना था की “एक पार्टी के तौर पर इसके बहुत अधिक वैचारिक सिद्धांत नहीं है जिन पर मेरा परिवार टिका है और उन का पालन मैं भी करूँ यह आवश्यक नहीं है.”
- वे इस बारे में भले ही कोई बात कहें कहने के अधिकारी भी हैं और फिर उन्हें भारतीय माता की संतान होने के कारण भारतीय मीडिया ने बोलने का हक़ भी दिया है किन्तु कहाँ है वह मीडिया जो नेहरु-गाँधी परिवार के बच्चों के राजनीति में आने पर जोर जोर से ' ' वंशवाद '' के खिलाफ बोलने लगता है क्या यहाँ उन्हें वंशवाद की झलक नहीं दिखती.
- मतलब ये कि कैम्ब्रिज भारत के शासकों का एक पसन्दीदा स्थान है, और ये हमारा “सौभाग्य”(?) है कि हमेशा भारत की तकदीर बदलने, अथवा क्रान्तिकारी परिवर्तन होने का सारथी पूरे भारत में सिर्फ़ और सिर्फ़ नेहरु-गाँधी परिवार ही होता है, पहले-पहल ये बात हमें पश्चिमी मीडिया बताता है, फ़िर भारत का मीडिया भी “सदासर्वदा पिछलग्गू” की तरह इस विचार के समर्थन में मुण्डी हिलाता है फ़िर जनता को मूर्ख बनाने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है।
- जो दवाएं बंगलादे श. न ेपाल, भूटान जैसे छोटे देशों में भी प्रतिबंधित श्रेणी में आती हैं और जिनपर सख्त रोक है, वह ज़हरीली दवाएं भारत में धड़ल्ले से बिक रही हैं, क्योंकि सरकार के मंत्रियों को आम आदमी की ज़िन्दगी का सौदा करने में कोई झिझक नहीं है, कांग्रेस 65 वर्ष में भी नेहरु-गाँधी परिवार के मोह से स्वयं को अलग नहीं कर पाई, पूर्व प्रधानमंत्री की संतान होना ही योग्यता की कसौटी है.
- मतलब ये कि कैम्ब्रिज भारत के शासकों का एक पसन्दीदा स्थान है, और ये हमारा “ सौभाग्य ” (?) है कि हमेशा भारत की तकदीर बदलने, अथवा क्रान्तिकारी परिवर्तन होने का सारथी पूरे भारत में सिर्फ़ और सिर्फ़ नेहरु-गाँधी परिवार ही होता है, पहले-पहल ये बात हमें पश्चिमी मीडिया बताता है, फ़िर भारत का मीडिया भी “ सदासर्वदा पिछलग्गू ” की तरह इस विचार के समर्थन में मुण्डी हिलाता है फ़िर जनता को मूर्ख बनाने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है।
- चूंकि गाँधी को तो “राष्ट्रपिता” का दर्जा मिला हुआ है, इसलिये इस नाम को छोड़ भी दें, तो अंधे को भी साफ़ दिखाई दे सकता है कि भारत रत्न सम्मान प्राप्त करने के लिये सिर्फ़ निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करना जरूरी नहीं है, इसके लिये सबसे पहली शर्त है नेहरु-गाँधी परिवार की चमचागिरी, दूसरी शर्त है “सेकुलरिज़्म का लबादा” और तीसरी तो यह कि या तो वह कलाकार इतने ऊँचे स्तर का हो कि कोई भी समिति उसका विरोध कर ही न सके, जैसे कि लता मंगेशकर, रविशंकर या पण्डित भीमसेन जोशी।
- वास्तव में, जीवन के २३ साल मुंबई में बिताने वाले रोहिंटन मिस्त्री के उपन्यासों में पारसी समाज समाज का गहन और यथार्थवादी चित्रण होता है और अगर इस तरह के प्रसंग उनके उपन्यासों में आते हैं तो इसका कारण भी यही है कि इसके माध्यम से वे यह दिखाना चाहते हैं कि अल्पसंख्यक समाज के सबसे बड़े हितैषी समझे जानेवाले नेहरु-गाँधी परिवार और कांग्रेस पार्टी को लेकर उस दौर में भी पारसी समाज क्या सोचती थी जब ‘गरीबी हटाओ' का नारा देकर इंदिरा गाँधी ने देश में उम्मीद की एक नई लहर पैदा कर दी थी.