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नैमिषारण्य तीर्थ वाक्य

उच्चारण: [ naimisaareny tireth ]

उदाहरण वाक्य

  1. प्रजा का पालन करते हुए जब महाराज मनु को मोक्ष की अभिलाषा हुई तो वे संपूर्ण राजपाट अपने बड़े पुत्र उत्तानपाद को सौंपकर एकान्त में अपनी पत्नी शतरूपा के साथ नैमिषारण्य तीर्थ चले गए लेकिन उत्तानपाद की अपेक्षा उनके दूसरे पुत्र राजा प्रियव्रत की प्रसिद्धि ही अधिक रही।
  2. प्रजा का पालन करते हुए जब महाराज मनु को मोक्ष की अभिलाषा हुई तो वे संपूर्ण राजपाट अपने बड़े पुत्र उत्तानपाद को सौंपकर एकान्त में अपनी पत्नी शतरूपा के साथ नैमिषारण्य तीर्थ चले गए लेकिन उत्तानपाद की अपेक्षा उनके दूसरे पुत्र राजा प्रियव्रत की प्रसिद्धि ही अधिक रही।
  3. कथा और मान्यताएं नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि ऋषियों ने सूत जी को प्रणाम कर शिवरात्रि व्रत के संबंध में प्रश्न किया, 'हे सूत जी! पूर्व काल में किसने इस उत्तम शिवरात्रि व्रत का पालन किया था और अनजान में भी इस व्रत का पालन करके किसने कौन-सा फल प्राप्त किया था? इसका उत्तर उन्हें ऐसे मिला-'एक धनवान मनुष्य शिवरात्रि के दिन शिव मंदिर में गया।
  4. एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शोंकादी अठास्सी हज़ार ऋषियों ने श्रीसूत जी से पूछा-” हे प्रभु! इस कलियुग में वेड-विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ती किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा? हे मुनी श्रेष्ठ! कोई ऐसा तप कहिये जिसमें थोड़े समय में पुण्य प्राप्त हो तथा मनवांछित फल भी मिले, वह कथा सुनने कि हमारी प्रबल इच्छा है ।
  5. कार्तिक पूर्णिमा स्नान एवं ददरी मेले का इतिहास बताते हुए भृगु क्षेत्र महात्म्य के लेखक शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर भृगु क्षेत्र में गंगा-तमसा के संगम पर स्नान करने पर वही पुण्य प्राप्त होता है जो पुष्कर और नैमिषारण्य तीर्थ में वास करने, साठ हजार वर्षो तक काशी में तपस्या करने अथवा राष्ट्र धर्म के लिये रणभूमि में वीरगति प्राप्त करने से मिलता है।
  6. कथा और मान्यताएं नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि ऋषियों ने सूत जी को प्रणाम कर शिवरात्रि व्रत के संबंध में प्रश्न किया, ‘ हे सूत जी! पूर्व काल में किसने इस उत्तम शिवरात्रि व्रत का पालन किया था और अनजान में भी इस व्रत का पालन करके किसने कौन-सा फल प्राप्त किया था? इसका उत्तर उन्हें ऐसे मिला-' एक धनवान मनुष्य शिवरात्रि के दिन शिव मंदिर में गया।
  7. यह तपोभूमि परमहंस कुटिया के नाम से जानी जाती है और सीतापुर जिले के दरियापुर गाँव में स्थित है, यहाँ से नैमिषारण्य तीर्थ भी ज्यादा दूर नहीं है, यह अत्यंत रम्य भूमि है अनेक वृक्षों से घिरी इस भूमि में साधना के परमाणुओं को आसानी से अनुभूत किया जा सकता है, उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र ६ ० किलोमीटर में स्थित यह भूमि आज भी पूज्य गुरुदेव की साधना की सुगंध से परिपूर्ण है |
  8. व्यास जी ने कहा-एक बार नैमिषारण्य तीर्थ में अस्सी हजार मुनि एकत्र हो कर पुराणों के ज्ञाता श्री सूत जी से पूछने लगे-हे महामुने! आपने हमें अनेक पुराणों की कथाएं सुनाई हैं, अब कृपा करके हमें ऐसा व्रत और कथा बतायें जिसके करने से सन्तान की प्राप्ति हो तथा मनुष्यों को रोग, शोक, अग्नि, सर्व दुःख आदि का भय दूर हो क्योंकि कलियुग में सभी जीवों की आयु बहुत कम है.
  9. महाशिव व्रत सारांश कथा एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि ऋषियों ने सूत जी को प्रणाम कर शिव रात्रि व्रत के संबंध में प्रश्न किया कि हे सूत जी! पूर्व काल में किसने इस उत्तम शिव रात्रि व्रत का पालन किया था और अनजान में भी इस व्रत का पालन कर के किसने कौन सा फल प्राप्त किया था? इसका उत्तर उन्हें ऐसे मिला: एक बार एक धनवान् मनुष्य कुसंगवश शिव रात्रि के दिन शिव मंदिर में गया।
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