परमानन्द श्रीवास्तव वाक्य
उच्चारण: [ permaanend sherivaasetv ]
उदाहरण वाक्य
- काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे परमानन्द श्रीवास्तव को रक्त शर्करा अनियन्त्रित हो जाने के कारण गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ 5 नवम्बर 2013 को उन्होंने दम तोड़ दिया।
- परमानन्द श्रीवास्तव की स्मृति में लखनऊ में शोकसभा का आयोजन प्रलेस, जसम, जलेस व इप्टा की ओर से इप्टा कार्यालय, कैसरबाग में 7 नवम्बर को शाम साढे चार बजे रखा गया है।
- अन्य सम्मान इस प्रकार हैं-गद्य सम्मान-प्रो. परमानन्द श्रीवास्तव, विशिष्टï योगदान सम्मान-बृज मोहन बख्शी, बाल साहित्य सम्मान-श्रीकृष्ण शलभ, नाटक सम्मान-देवेन्द्र राज अंकुर, हास्य सम्मान-डा. आलोक पुराणिक
- ऐसे दौर में जब प्रतिगामी शक्तियों व विचारों के विरुद्ध प्रगतिशील-जनवादी विचारों व संस्कृति का संघर्ष तेज हो रहा है, डॉ 0 परमानन्द श्रीवास्तव जैसे प्रगतिशील कवि व आलोचक का जाना साहित्य व समाज के लिए बड़ी क्षति है।
- 10 फरवरी 1935 को गोरखपुर जिले के बाँसगाँव में जन्मे [4] परमानन्द श्रीवास्तव ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पैतृक गाँव से पूर्ण करने के उपरान्त सेण्ट एण्ड्रूज कॉलेज गोरखपुर से स्नातक, परास्नातक व डॉक्ट्रेट किया और उसी कॉलेज में प्रवक्ता हो गये।
- परमानन्द श्रीवास्तव का ‘प्रतिरोध की संस्कृति और साहित्य ', गोपेश्वर का ‘आलोचना का नया पाठ', विश्वरंजन का संपादन ‘फिर-फिर नागार्जुन', देवेन्द्र चौबे का ‘आलोचना का जनतंत्र', पल्लव का ‘कहानी का लोकतंत्र' और प्रियम अंकित का ‘पूर्वाग्रहों के विरुद्ध' भी हिन्दी आलोचना को नये बोध से जोड़ते हैं।
- लखनऊ, 7 नवम्बर। यू. पी. प्रेस क्लब द्वारा प्रेस क्लब परिसर में प्रतिमाह आयोजित होने वाली कवि गोष्ठी ' सृजन में शहर के कवियों द्वारा दिवंगत साहित्यकार के. पी. सक्सेना, राजेन्द्र यादव, परमानन्द श्रीवास्तव एवं मो. नूरबख्श को श्रद्घांजलि अर्पित की गयी।
- लखनऊ, 7 नवम्बर। यू. पी. प्रेस क्लब द्वारा प्रेस क्लब परिसर में प्रतिमाह आयोजित होने वाली कवि गोष्ठी ' सृजन में शहर के कवियों द्वारा दिवंगत साहित्यकार के. पी. सक्सेना, राजेन्द्र यादव, परमानन्द श्रीवास्तव एवं मो. नूरबख्श को श्रद्घांजलि अर्पित की गयी।
- कौशल किशोर / हम अभी कथाकार व ‘ हंस ' के संपादक राजेन्द्र यादव तथा व्यंग्य लेखक के पी सक्सेना के बिछुड़ जाने के दुख से उबरे भी नहीं थे कि जाने माने कवि व वरिष्ठ आलोचक डा 0 परमानन्द श्रीवास्तव के निधन ने उदासी को और गहरा कर दिया है।
- लेकिन छायी हुई चुप्पी से यह समझ में आता है कि हिन्दी का रचनाजगत किस तरह से आत्ममुग्ध है जो सिर्फ़ पुरस्कार प्रकरण पर तो, वो भी आधे-अधूरे तरह से (आधे-अधूरे: क्योंकि उदय प्रकाश का नाम तो उठा, जो उठना जरूरी था, पर वहीं एक आलोचक परमानन्द श्रीवास्तव के नाम पर चुप्पी है)