पाशुपतास्त्र वाक्य
उच्चारण: [ paashupetaasetr ]
उदाहरण वाक्य
- श्री कृष्ण के होते हुए अर्जुन को तपस्या करने और प्रभु शिव से पाशुपतास्त्र प्राप्त करने की क्यों आवश्यकता पड़ी? भारत मेें प्रभु शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग, जिनके स्मरण मात्र से (प्रात: सायं) सम्पूर्ण पापों का नाश होता है।
- एक कथा अनुसार इस स्थान पर अर्जुन ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कि थी जिससे प्रसन्न हो भगवान ने अर्जुन को पाशुपतास्त्र प्रदान किया और बाद में अर्जुन ने इस स्थान पर देवी दुर्गा के मंदिर का निर्माण भी करवाया था जो देवी के प्रति उनके सम्मान का बोध कराता है।
- अंत में उन्होंने पाशुपतास्त्र के संधान किया और भगवान शिव से बोले की हे प्रभु, आपने ही मुझे ये वरदान दिया है की आपके द्वारा प्रदत्त इस अस्त्र से त्रिलोक में कोई पराजित हुए बिना नहीं रह सकता, इसलिए हे महादेव आपकी ही आज्ञा और इच्छा से मैं इसका प्रयोग आपपर हीं करता हूँ.
- अंत में उन्होंने पाशुपतास्त्र के संधान किया और भगवान शिव से बोले की हे प्रभु, आपने ही मुझे ये वरदान दिया है की आपके द्वारा प्रदत्त इस अस्त्र से त्रिलोक में कोई पराजित हुए बिना नहीं रह सकता, इसलिए हे महादेव आपकी ही आज्ञा और इच्छा से मैं इसका प्रयोग आपपर हीं करता हूँ.
- इसका उपयुक्त उदहारण अश्रु गेस के गोले के रूप में समझा जा सकता है जो सरकार अक्सर शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट कर रहे लोगो पर करती है | पाशुपतास्त्र (Electric Missile / Weapon)-इस प्रकार के अस्त्र में तार से या शीशे से अथवा किसी और पदार्थ से विधुत उत्पन्न कर शत्रुओं पर छोड़ा जाता था |
- पांडव वनवास का जीवन व्यतीत कर रहे थे | भगवान व्यास की प्रेरणा से अर्जुन अपने भाइयों की आज्ञा लेकर तपस्या करने गए | तप करके उन्होंने भगवान शंकर को प्रसन्न किया, आशुतोष ने उन्हें अपना पाशुपतास्त्र प्रदान किया | इसके अनंतर देवराज इंद्र अपने रथ में बैठाकर अर्जुन को स्वर्गलोक ले गए | इंद्र तथा अन्य लोकपालों ने भी अपने दिव्यास्त्र अर्जुन को दिए |
- अतः पाशुपतास्त्र रखो अपने पास भी कि मर जायेंगे पर अन्याय, पाप, शास्त्रविरुद्ध नहीं करेंगे, मरना पड़ेगा नहीं! और हे नाथ! हे नाथ!! पुकारो.... फिर तो प्रतिकूल रहनेवाले भी अनुकूल हो जायेंगे, वैर रखनेवाले भी सहाय करेंगे! ‘ तन कर, मन कर, वचन कर देत न् काहूँ दुःख: तुलसी पातक जरत है देखत उसका मुख ।