पीली आंधी वाक्य
उच्चारण: [ pili aanedhi ]
उदाहरण वाक्य
- मगर ये रेत की काली पीली आंधी अपने साथ एक ऐसी सौगात लेकर आती थी जिसकी वजह से इतनी तकलीफों के बावजूद ये आंधी हमें बुरी नहीं लगती थी. ये सौगात थी.... गर्मी से राहत.
- आपतो किताब लिखो...आपकी किताब शीर्षक से नहीं नाम से बिकेगी...चाहो तो आजमा कर देख लो...सच्ची...वैसे “ लाल समीर” नाम कैसा रहेगा...जब पीली आंधी, काली आंधी शीर्षक रखे जा सकते हैं तो लाल समीर क्यूँ नहीं...???लाल समीर याने लाल हवा...याने ख़ूनी क्रांति..
- उनके साहित्य पर भी इस अर्जित दुनियादारी की साफ छाप दिखाई देती है, वर्ना ' पीली आंधी ' के माधो बाबू, पद्मावती और पन्ना लाल सुराणा की तरह के चरित्रों और ष्याम बाबू पर केंद्रित ' तालाबंदी ' की तरह के उपन्यासों की रचना मुमकिन नहीं होसकती थी।
- पीली आंधी ' के पद्मावती और सोमा के ' विरासत ' के प्रसंग ने प्रियम्वदा बिड़ला की वसीयत से जुड़े बहुचर्चित प्रकरण के वक्त इस लेखक को अनायास ही उस उपन्यास की याद दिला दी थी और ' एक वसीयत दो उपन्यास ' की तरह की टिप्पणी लिखी गयी थी।
- भगवान को भी पश्चिमी राजस्थान की इस धोरों (रेत के टीलों) की धरती पर बसे हर तरह के अभाव झेलते लोगों पर थोड़ी दया आ जाती और इधर उधर से कोई आवाज़ आ जाती “अरे काली पीली आंधी आ रही है रे......” और सब लोग उठ खड़े होते थे काली पीली आंधी को देखने के लिए.
- भगवान को भी पश्चिमी राजस्थान की इस धोरों (रेत के टीलों) की धरती पर बसे हर तरह के अभाव झेलते लोगों पर थोड़ी दया आ जाती और इधर उधर से कोई आवाज़ आ जाती “अरे काली पीली आंधी आ रही है रे......” और सब लोग उठ खड़े होते थे काली पीली आंधी को देखने के लिए.
- बाद की औपन्यासिक कृतियां ' तालाबंदी ' (1991), ' अग्निसंभवा ' (1992), ' एड्स ', ' छिन्नमस्ता ' (1993), ' अपने-अपने चहरे ' (1994), ' पीली आंधी ' (1996), स्त्री पक्ष (1999) सभी उपन्यास साहित्यिक क्षेत्र में प्रशंसित रही।
- भगवान को भी पश्चिमी राजस्थान की इस धोरों (रेत के टीलों) की धरती पर बसे हर तरह के अभाव झेलते लोगों पर थोड़ी दया आ जाती और इधर उधर से कोई आवाज़ आ जाती “ अरे काली पीली आंधी आ रही है रे...... ” और सब लोग उठ खड़े होते थे काली पीली आंधी को देखने के लि ए.
- भगवान को भी पश्चिमी राजस्थान की इस धोरों (रेत के टीलों) की धरती पर बसे हर तरह के अभाव झेलते लोगों पर थोड़ी दया आ जाती और इधर उधर से कोई आवाज़ आ जाती “ अरे काली पीली आंधी आ रही है रे...... ” और सब लोग उठ खड़े होते थे काली पीली आंधी को देखने के लि ए.
- मगर ये रेत की काली पीली आंधी अपने साथ एक ऐसी सौगात लेकर आती थी जिसकी वजह से इतनी तकलीफों के बावजूद ये आंधी हमें बुरी नहीं लगती थी. ये सौगात थी.... गर्मी से राहत. जितने दिन ये आंधी चलती रहती थी ज़ाहिर है, हवा भी चलती रहती थी और हवा चलने का मतलब गर्मी से ज़बरदस्त राहत.