प्रियादास वाक्य
उच्चारण: [ periyaadaas ]
उदाहरण वाक्य
- भक्तमाल के प्रियादास की टीका से पता चलता है कि जीवन के वसंत काल में तुलसी पत्नी के प्रेम में सराबोर थे।
- भक्तमाल के प्रियादास की टीका से पता चलता है कि जीवन के वसंत काल में तुलसी पत्नी के प्रेम में सराबोर थे।
- भक्तमाल के प्रियादास की टीका से पता चलता है कि जीवन के वसंत काल में तुलसी पत्नी के प्रेम में सराबोर थे।
- प्रियादास कृत ' भक्तमाल ' की टीका के अनुसार चित्तौड़ की ' झालारानी ' उनकी शिष्या थीं, जो महाराणा सांगा की पत्नी थीं।
- सं0 1769 वि0 में लिखित प्रियादास की टीका में वही भाव विशदीकृत है और ब्राह्मण तथा उसको दो कन्याओं को कहानी की सन्दर्भित किया गया है।
- टीप-अनेक भक्त माल की प्रतियां देखने से प्रतीत हुआ कि इस मूल छप्पय नाभादास जी पर प्रियादास जी ने अपनी टीका का कवित्त नहीं लिखा।
- कबीर ने संतनि में रविदास संत ' कहकर उनका महत्त्व स्वीकार किया इसके अतिरिक्त नाभादास, प्रियादास, मीराबाई आदि ने रैदास का ससम्मान स्मरण किया है।
- इस कथा का उल्लेख सर्वप्रथम प्रियादास के कवित्तों में मिलता है-' वृन्दावन आई जीव गुसाई जू सो मिल झिली, तिया मुख देखबे का पन लै छुटायौ
- प्रियादास, वैष्णवदास, लालदास, बालकराम, रूपकला, मलूकदास, आदि अनेक विद्वानों ने इस ग्रंथ पर विविध टीकाएँ प्रस्तुत कर प्रस्तुत ग्रंथ की महिमा को स्वीकार किया है।
- अपने दोनों प्रिय भक्तों की एक साथ सेवा करने का अवसर उन्हें फिर कब मिलता? प्रियादास जी ने भक्तमाल की टीका में सूत्र रूप में इस घटना का उल्लेख इस प्रकार किया है-