फलदीपिका वाक्य
उच्चारण: [ feldipikaa ]
उदाहरण वाक्य
- फलदीपिका में लग्नेश, पंचम भाव और पंचमेश के साथ ही चंद्रमा, बृहस्पति एवं बुध को शिक्षा का कारक बताया गया है।
- (फलदीपिका) बारहवें भाव में सूर्य, मंगल, शनि हो अथवा द्वादशेश सूर्य साथ में हो तो मृत्यूपरांत नरक प्राप्ति होती है।
- फलदीपिका में मंत्रेश्वर लिखते हैं कि द्वादश भाव एवं द्वादशेश भी मनुष्य के मृत्यूपरांत ' ' लोक '' प्राप्ति के विषय में जानकारी देते हैं।
- जैसे कि फलदीपिका के अध्याय आठ के श्लोक पांच में लिखा है कि अष्टम भाव में चंद्र हो तो बालक अल्पायु व रोगी होता है।
- ' महर्षि मंत्रेश्वर ' कृत '' फलदीपिका '' के अनुसार '' तिग्मांशुर्जनयप्युशेषसहितो यन्त्राश्मकारं नरः '' अर्थात् यदि सूर्य-चंद्रमा साथ-साथ में हो तो जातक यंत्रकारक इंजीनियर तथा मशीनरी के कार्य करता है।
- ' फलदीपिका ' के अनुसार मीन राशि का शनि यदि छठे या आठवें भाव में स्थित हो तो जातक को जमीन जायदाद तथा भवन या इनसे संबंधित कार्यों से पूर्ण लाभ दिलाता है।
- ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों-प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं।
- आचार्य मन्त्रेश्वर जिनका वास्तविक नाम मार्कंडेय भट्टाद्रि था और जो एक नम्बूदरीपाद ब्राह्मण थे, तथा दक्षिण भारत के धन्वन्तरी कहे जाते हैं, ने अपनी “ फलदीपिका ” में कहा है कि-
- पुष्टि के लिए फलदीपिका, वृहद्पराशर, होरासार, मानसागरी, रत्नावली, सारावली, भारतीय ज्योतिष, भारतीय ज्योतिष का इतिहास आदि अनेकों महाग्रंथों से इस वक्तव्य की पुष्टि की जा सकती है।
- चंद्रमा का पक्षबल काफी अधिक है एवं चंद्रमा वर्गोŸाम नवांश में स्थित है फलदीपिका में मंत्रेश्वर महाराज ने लिखा है कि चंद्रमा पक्ष बली हो और वर्गोŸाम नवांश में स्थित हो तो ऐसा मनुष्य राजा होता है।