फिराक़ गोरखपुरी वाक्य
उच्चारण: [ firaak gaorekhepuri ]
उदाहरण वाक्य
- लेकिन बार-बार वह एक दोपहर मुझे याद आ रही है जो हमने दान सिंह जी के सान्निध्य में बिताई थी और उसी के साथ याद आ रहा है फिराक़ गोरखपुरी का यह मशहूर शे ' र:
- लेकिन बार-बार वह एक दोपहर मुझे याद आ रही है जो हमने दान सिंह जी के सान्निध्य में बिताई थी और उसी के साथ याद आ रहा है फिराक़ गोरखपुरी का यह मशहूर शे ' र:
- निदा साहब ने नशे की उसी झोंक में साहिर के सामने ही साहिर की शायरी के मुकाबले फिराक़ गोरखपुरी और फैज़ अहमद ‘फैज़ ' की तारीफ कर दी. नाराज़ होकर साहिर ने निदा को दस-बीस सुनाई और बाहर निकल जाने का हुक्म दे दिया.
- अपनी पुस्तक ' उर्दू भाषा और साहित्य ' में काव्य-शास्त्र संबंधी कुछ बातों का उल्लेख करते हुए फिराक़ गोरखपुरी लिखते हैं-'शहर आशोब (में) किसी शहर के उजड़ने या बरबाद हो जाने पर उसके पुराने वैभव को दुःख के साथ याद किया जाता है।
- अपने कलाम में ‘ हिन्दुस्तानियत ' के मोती पिरोकर गजल को भारतीय रंग-ओ-बू देने वाले रघुपति सहाय फिराक़ गोरखपुरी कौमी एकता की मिसाल थे और बेबाक शख्सियत के इस अदीब ने उर्दू पर सिर्फ मुसलमानों की जबान का ठप्पा लगाने की कोशिशों की पुरजोर मुखालिफत की थी।
- अपनी पुस्तक ' उर्दू भाषा और साहित्य ' में काव्य-शास्त्र संबंधी कुछ बातों का उल्लेख करते हुए फिराक़ गोरखपुरी लिखते हैं-' शहर आशोब (में) किसी शहर के उजड़ने या बरबाद हो जाने पर उसके पुराने वैभव को दुःख के साथ याद किया जाता है।
- अपने कलाम में ‘ हिन्दुस्तानियत ' के मोती पिरोकर गजल को भारतीय रंग-ओ-बू देने वाले रघुपति सहाय फिराक़ गोरखपुरी कौमी एकता की मिसाल थे और बेबाक शख्सियत के इस अदीब ने उर्दू पर सिर्फ मुसलमानों की जबान का ठप्पा लगाने की कोशिशों की पुरजोर मुखालिफत की थी।
- यूँ तो दूरदर्शन के इस धारावाहिक में प्रस्तुत अपनी कई पसंदीदा ग़ज़लों और नज्मों मसलन मजाज़ की आवारा, हसरत मोहानी की रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम और फिराक़ गोरखपुरी की अब अक्सर चुप चुप से रहे हैं की चर्चा पहले ही इस ब्लॉग पर हो चुकी है।
- कवि सम्मेलन और मुशायरे में मैथिलि शरण गुप्त, सुमित्र नंदल पंत, महादेवी वर्मा, माखन लाल चतुव्रेदी, भगवती चरण वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामधारी सिंह दिनकर, नरेन्द्र शर्मा,हरिवंश राय बच्चन, अली सरदार जाफरी, मजरूह सुल्तानपुरी, शक़ील बदायूंनी, फिराक़ गोरखपुरी और साहिर लुधियानवी जैसे दिग्गज कवियों व शायरों का समागम हुआ करता था।
- इनकी अगली पीढ़ी में ब्रजनारायण चकबस्त (आध्यात्मिक एवं राष्ट्र मीमांसात्मक),नज़ीर(लोक रंग), इकबाल (शुरू में रहस्यवादी या सूफी खासकर हाफिज़, सादी और रूमी, राष्ट्र भक्ति, इस्लामिक धारा), फिराक़ गोरखपुरी (तत्व मीमांसा, दृष्टि योजना, प्रयोगवाद) आदि मुख्य हैं, जो साहित्य की तत्कालीन धारा को प्रभावित करते हैं ।