बंगाली साहित्य वाक्य
उच्चारण: [ bengaaali saahitey ]
उदाहरण वाक्य
- चंद्रकांता संतति ' में ऐयारी थी और उर्दू में बंगाली साहित्य की परंपराएं नहीं थीं कि रमेशचंद्र दत्त के जहांगीर काल के ऐतिहासिक उपन्यास से लेकर बंकिम के समय तक का इतिहास और समाज कथा-साहित्य में मिलता।
- लड़का विज़ार्ड के मामले में, अपने अधिकारों के मालिकों को पहले से ही भारत में सफल रहा है कि एक प्रकाशक पुस्तक “कलकत्ता में हैरी पॉटर, जिसमें नायक बंगाली साहित्य का विपुल क्लासिक अक्षर जानता था वापस ले लिया.
- हालांकि पलाश चंद्र बिस्वास जैसे मेरे मित्र बंगाली साहित्य में जातिगत वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं, आम समझ यह है कि उत्तर-टैगोर कालखंड में हाशिये के लोगों को मुख्यधारा के विमर्श में लाने का काम महाश्वेता देवी जैसे लेखकों ने किया है।
- बंगाली साहित्य का प्रभावशाली रूझान एक सार्वभौमिक मानव की तलाश में लिप्त था (और जिसका सीधा असर उन्नीसवीं सदी के अंत से विकसित हिंदी साहित्य पर भी खासा दिखता है), पर इसके विपरीत अब ऐसे आदमी की तलाश होने लगी जो अपने समाज और परिवेश से दमित हो.
- हालाँकि पलाश चन्द्र बिस्वास जैसे मेरे मित्र बंगाली साहित्य में जातिगत वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं, आम समझ यह है कि उत्तर-टैगोर कालखण्ड में हाशिये के लोगों को मुख्यधारा के विमर्श में लाने का काम महाश्वेता देवी जैसे लेखकों ने किया है.
- बंगाली साहित्य का प्रभावशाली रूझान एक सार्वभौमिक मानव की तलाश में लिप्त था (और जिसका सीधा असर उन्नीसवीं सदी के अंत से विकसित हिंदी साहित्य पर भी खासा दिखता है), पर इसके विपरीत अब ऐसे आदमी की तलाश होने लगी जो अपने समाज और परिवेश से दमित हो.
- बंगाली साहित्य का प्रभावशाली रूझान एक सार्वभौमिक मानव की तलाश में लिप्त था (और जिसका सीधा असर उन्नीसवीं सदी के अंत से विकसित हिंदी साहित्य पर भी खासा दिखता है), पर इसके विपरीत अब ऐसे आदमी की तलाश होने लगी जो अपने समाज और परिवेश से दमित हो.
- श्री मित्रा अपने प्रसिद्ध उपन्यास साहिब बीबी-गुलाम और कोरी दिए किन्लाम, बेगम मैरी बिश्वास, के रूप में अन्य कार्यों द्वारा साहित्य के क्षेत्र में अमर स्थान हासिल असम हाज़िर आदि उनके एक चार चोखेर खेला नोवेलेत्तेस की के जीवन पर आधारित है चक्रधरपुर रेलवे कॉलोनी के आंग्ल भारतीय आबादी.हाल के दिनों के दौरान कई रेलवे लोग खुद को बंगाली साहित्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठित किया है.
- काश मुझे उस काल के ऐसे अनूदित बंगाली साहित्य और फ़िल्मों को देखने का मौका मिले जो इस फ़ार्मेट से अलग हों, और मनोरंजक चाहे कम हों पर उस समय के समाज को संतुलित ढंग से प्रस्तुत करे या ये कंफ़र्म करे की ये फ़िल्में भी सच्चाई से ज्यादा दूर नहीं और अगर ऐसा भी है तो साहित्यकारों को उनकी हिम्मत और कलाधर्मिता के लिए जितनी दाद दी जाए कम है.
- काश मुझे उस काल के ऐसे अनूदित बंगाली साहित्य और फ़िल्मों को देखने का मौका मिले जो इस फ़ार्मेट से अलग हों, और मनोरंजक चाहे कम हों पर उस समय के समाज को संतुलित ढंग से प्रस्तुत करे या ये कंफ़र्म करे की ये फ़िल्में भी सच्चाई से ज्यादा दूर नहीं और अगर ऐसा भी है तो साहित्यकारों को उनकी हिम्मत और कलाधर्मिता के लिए जितनी दाद दी जाए कम है.