बंग महिला वाक्य
उच्चारण: [ benga mhilaa ]
उदाहरण वाक्य
- १ ९ ० ६-० ७ के दौरान बंग महिला ने साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा और २ ०० ६-० ७ तक सौ साल पूरे होने जा रहे है।
- 1901 में माधवराव सप्रे की ‘एक टोकरी भर मिट्टी ' ; 1902 भगवानदास की ‘प्लेग की चुड़ैल' 1903 में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की ‘ग्यारह वर्ष का समय' और 1907 में बंग महिला उर्फ राजेन्द्र बाला घोष की
- हिन् दी के प्रारंभिक कहानीकारों में किशोरीलाल गोस् वामी, भगवान दीन बी. ए., माधव प्रसाद मिश्र, बंग महिला, आचार्य रामचंद्र शुक् ल, जयशंकर प्रसाद, वृंदावनलाल वर्मा आदि उल् लेखनीय हैं।
- 1882 में आयी सीमंतनी उपदेश की लेखिका एक अजात हिंदू औरत, १ ९ वीं सदी की ही ताराबाई शिंदे, बंग महिला (राजेंद्र्बाला घोष), मल्लिका, कैलाशवासिनी आदि एक पूरा सिलसिला है.
- जिसे हम ' बंग महिला ' कहते हैं उनको और रामचन्द्र शुक्ल को लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी ग्रुप ने हमेशा ऎसे ही आरोप लगाए थे कि इनका (शुक्ल जी का) अतिरिक्त मोह उस महिला से है.
- बंग महिला की दुलाईवाली को हिन्दी की पहली कहानियों में जगह मिली और बीसवीं सदी में महिलाओं ने पत्रिकायें भी निकालीं, लेकिन 1950 से पहले के साहित्य इतिहास में जगह बनाने योग्य महिलायें महादेवी वर्मा के अलावे किंचित मात्र ही रही।
- 1901 में माधवराव सप्रे की ‘ एक टोकरी भर मिट्टी ' ; 1902 भगवानदास की ‘ प्लेग की चुड़ैल ' 1903 में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की ‘ ग्यारह वर्ष का समय ' और 1907 में बंग महिला उर्फ राजेन्द्र बाला घोष की ‘ दुलाईवाली ' बीसवीं शताब्दी की आरंभिक महत्वपूर्ण कहानियाँ थीं।
- बंग महिला द्वारा साहित्य लेखन को इस कारण से भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि इस समय गोपालदास गहमरी और देवकीनन्दन खत्री जैसे स्थापित पुरुष साहित्यकार साहित्य-सर्जना कर रहे थे वहाँ बंग महिला ने नारी-सुधार जैसे विषय को केन्द्र बना कर लिखी कहानी से स्त्री चेतना और सशक्तीकरण की दिशा तय की।
- बंग महिला द्वारा साहित्य लेखन को इस कारण से भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि इस समय गोपालदास गहमरी और देवकीनन्दन खत्री जैसे स्थापित पुरुष साहित्यकार साहित्य-सर्जना कर रहे थे वहाँ बंग महिला ने नारी-सुधार जैसे विषय को केन्द्र बना कर लिखी कहानी से स्त्री चेतना और सशक्तीकरण की दिशा तय की।
- बंग महिला द्वारा साहित्य लेखन को इस कारण से भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि इस समय गोपालदास गहमरी और देवकीनन्दन खत्री जैसे स्थापित पुरुष साहित्यकार साहित्य-सर्जना कर रहे थे वहाँ बंग महिला ने नारी-सुधार जैसे विषय को केन्द्र बना कर लिखी कहानी से स्त्री चेतना और सशक्तीकरण की दिशा तय की।