बुक्क वाक्य
उच्चारण: [ bukek ]
उदाहरण वाक्य
- देखने में, सभी भालुओं के आम लक्षणों में बड़ा शरीर, मोटी टाँगे-बाज़ू, लम्बा बुक्क (नाक), पूरे बदन पर घने बाल और पाँव में सख़्त नाख़ून शामिल हैं।
- (4) पुरुषार्थ सुधानिधि-धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष रूपी चारों पुरुषार्थों के प्रतिपादक पौराणिक श्लोकों का यह विशद संकलन बुक्क महाराज के निदेश से लिखा गया था।
- (4) पुरुषार्थ सुधानिधि-धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष रूपी चारों पुरुषार्थों के प्रतिपादक पौराणिक श्लोकों का यह विशद संकलन बुक्क महाराज के निदेश से लिखा गया था।
- महाराज बुक्क के आज्ञानुसार आपके तत्वावधान में तत्तद्विषय विशेषज्ञ विद्वानों की सहायता से चतुर्वेद संहिताओं, ब्राह्मण ग्रंथों, आरणयक तथा उपनिषद् भागों के भाष्य तैयार किए गए।
- विजयनगर के इन चार राजन्यों के साथ सायण का संबंध था-कंपण, संगम (द्वितीय), बुक्क (प्रथम) तथा हरिहर (द्वितीय) ।
- (4) पुरुषार्थ सुधानिधि-धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष रूपी चारों पुरुषार्थों के प्रतिपादक पौराणिक श्लोकों का यह विशद संकलन बुक्क महाराज के निदेश से लिखा गया था।
- हरिहर राय प्रथम और बुक्क राय प्रथम के बाद देवराय प्रथम, देवराय द्वितीय और वीरुपाक्ष द्वितीय ने विजयनगर साम्राज्य को एक नयी दिशा दी और इस्लामी आक्रान्ताओं से दक्षिण प्रदेश को बचाए रखा l
- देव राया द्वितीय ने अपने पिता वीर विजय बुक्क राया के दो साल के लघु घटनाराहित शासनकाल (नुनिज़ के अनुसार उनका शासनकाल 25 वर्षों का था) के बाद सत्ता संभाली; उनके पिता जो विजयनगर साम्राज्य के सम्राट थे.
- इस प्रकार ये वे. सं. 1421-1437 (1364 ई.-1378 ई.) तक लगभग 16 वर्षों तक बुक्क महाराज के प्रधानमंत्री थे और वि. सं. 1438-1444 वि. (1379 ई.-1387 ई.) तक लगभग आठ वर्षों तक हरिहर द्वितीय के प्रधान अमात्य थे।
- नित्यानन्दनाथ प्रणीत कामकौतुकम्, रतिनाथ चक्रवर्तिन् प्रणीत कामकौमुदी, जनार्दनव्यास प्रणीत कामप्रबोध, केशव प्रणीत कामप्राभ्ऋत, कुम्भकर्णमहीन्द्र(राणा कुम्भा)प्रणीत कामराजरतिसार, वरदार्य प्रणीत कामानन्द, बुक्क शर्मा प्रणीत कामिनीकलाकोलाहल, सबलसिंह प्रणीत कामोल्लास, अनंत की कामसमूह, तंजौर के महाराजा शाहजी (1664-1710) प्रणीत श्रृंगारमंजरी, माधवसिंहदेव प्रणीत कामोद्दीपनकौमुदी, विद्याधर प्रणीत केलिरहस्य, कामराज प्रणीत मदनोदयसारसंग्रह, दुर्लभकवि प्रणीत मोहनामृत, कृष्णदासविप्र प्रणीत योनिमंजरी, हरिहरचन्द्रसूनु प्रणीत रतिदर्पण, माधवदेवनरेन्द्र प्रणीत रतिसार, आचार्य जगद्धर प्रणीत रसिकसर्वस्व आदि।