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भाद्रपद पूर्णिमा वाक्य

उच्चारण: [ bhaaderped purenimaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. चैत्र (हनुमान जयंती) * वैशाख (बुद्ध जयंती) * ज्येष्ठ (वट सावित्री) * आषाढ़ (गुरू-पूर्णिमा) * श्रावण पूर्णिमा * भाद्रपद पूर्णिमा *आश्विन (शरद पूर्णिमा) * कार्तिक पूर्णिमा * अग्रहण्य पूर्णिमा • पौष पूर्णिमा * माघ (माघ मेला) * फाल्गुन पूर्णिमा
  2. स्वयं परमवंदनीया माताजी ने अपनी पूर्व घो ष णानुसार चार वर्ष तक परिजनों का मार्गदर्शन कर सोलह यज्ञों का संचालन स्थूल शरीर से किया व फिर भाद्रपद पूर्णिमा 19 सितम्बर 1994 महालय श्राद्धारंभ वाली पुण्य वेला में अपने आरा è य के साथ एकाकार हो गयी।
  3. श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण प्रायः हरेक भारतीय तीर्थों में संपादित होता है, पर इस अनुष्ठान के नाम पर विशाल मेला केवल गयाजी में ही लगता है, जहां भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विनी अमावस्या तक इस कार्य के निमित्त देश-विदेश के दूरस्थ स्थानों से लोगों का आगमन होता है।
  4. मकरध्वज बालाजी के दर्शनार्थ दूर-दूर से आये भक्तों का मेला तो प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को लगता है, परंतु चैत्र पूर्णिमा-हनुमान जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा गोरखनाथ गुरु महोत्सव, भाद्रपद पूर्णिमा, मकरध्वज जयंती पर बाबा के इस तीर्थधाम का विशेष आकर्षण अपने भक्तों को अपनी ओर आकृष्ट करता है।
  5. आमलकी एकादशी * पापमोचिनी एकादशी * पद्मिनी एकादशी * परमा एकादशी पूर्णिमा चैत्र (हनुमान जयंती) * वैशाख (बुद्ध जयंती) * ज्येष्ठ (वट सावित्री) * आषाढ़ (गुरू-पूर्णिमा) * श्रावण पूर्णिमा * भाद्रपद पूर्णिमा *आश्विन (शरद पूर्णिमा) * कार्तिक पूर्णिमा * अग्रहण्य पूर्णिमा • पौष पूर्णिमा * माघ (माघ मेला) * फाल्गुन पूर्णिमा
  6. मकरध्वज बालाजी के दर्शनों के लिए दूर-दूर से आये भक्तों का मेला तो प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को लगता है परंतु चैत्र पूर्णिमा (हनुमान जयंती), आषाढ़ पूर्णिमा, भाद्रपद पूर्णिमा व मकरध्वज जयंती के दिन बाबा के इस तीर्थधाम का विशेष आकर्षण अपने भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
  7. पित्रों की आत्मशान्ति हेतु भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारम्भ श्राद्धिय पक्ष के दौरान श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी मे पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के साथ अपने पित्रों की आत्मशान्ति हेतु गंगा तट पर तर्पण गो ग्रास अनुष्ठान आदि किये जिसे करने के लिए गंगातटो पर स्नान के लिए लोग शाम तक जुटे रहे।
  8. गौरतलब है कि श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण प्रायः हरेक भारतीय तीर्थों में संपादित होता है, पर इस अनुष्ठान के नाम पर विशाल मेला केवल गया में ही लगता है, जहां भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विनी अमावस्या तक इस कार्य के निमित्त देश के दूरस्थ स्थानों और विदेशों से भी लोगों का आगमन होता है।
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