भारतीय समाज और संस्कृति वाक्य
उच्चारण: [ bhaaretiy semaaj aur sensekriti ]
उदाहरण वाक्य
- सन् 1971 में 13 खंडों में छपी उनकी रचनावली के चयनित अं शों के माध्यम से रामविलासजी भारतीय समाज और संस्कृति में मौजूद प्रगतिशील और विकासात्मक शक्ति यों की चर्चा करते हैं, जिनको औपनिवेशिक शासन ने अपने हित में नष्ट किया ।
- अक्षय तृतीया भारतीय समाज और संस्कृति का एक पावनपर्व है और इसकी मीमांसा अलग से समझी जा सकती है लेकिन इसकी आड़ में नादान बच्चों के ब्याह का जो खेल खेला जाता है, उसे समझने और सुधारने की दरकार हम सभी को है.
- शोध बताते हैं कि छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाओं के पीछे पोर्नोग्राफी साहित्य तथा मोबाईल का बड़ा योगदान हैं! सोशल मीडिया का दुरुपयोग होता हैं तो इससे भारतीय समाज और संस्कृति को बड़ा खतरा खड़ा होगा! हमारे देश के भावी कर्णधार युवा वर्ग सोशल साइट्स की वजह से हो रहे हैं!
- अगर नहीं तो जिन क्रिकेटरों को उनके करोड़ों भारतीय प्रसंशक सर-आंखों पर बिठा कर रखते हैं उन पर इनकी करनियों का प्रभाव नहीं पड़ेगा? क्या इससे भारतीय युवा वर्ग में उत्श्रृंखलता का प्रसार नहीं होगा? अगर हाँ, तो क्या बीसीसीआई की भारतीय समाज और संस्कृति के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है?
- यद्यपि प्राचीन काल में आदिवासियों ने भारतीय परंपरा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया था और उनके कतिपय रीति रिवाज और विश्वास आज भी थोड़े बहुत परिवर्तित रूप में आधुनिक हिंदू समाज में देखे जा सकते हैं, तथापि यह निश्चित है कि वे बहुत पहले ही भारतीय समाज और संस्कृति के विकास की प्रमुख धारा से पृथक् हो गए थे।
- यद्यपि प्राचीन काल में आदिवासियों ने भारतीय परंपरा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया था और उनके कतिपय रीति रिवाज और विश्वास आज भी थोड़े बहुत परिवर्तित रूप में आधुनिक हिंदू समाज में देखे जा सकते हैं, तथापि यह निश्चित है कि वे बहुत पहले ही भारतीय समाज और संस्कृति के विकास की प्रमुख धारा से पृथक् हो गए थे।
- यद्यपि प्राचीन काल में आदिवासियों ने भारतीय परंपरा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया था और उनके कतिपय रीति रिवाज और विश्वास आज भी थोड़े बहुत परिवर्तित रूप में आधुनिक हिंदू समाज में देखे जा सकते हैं, तथापि यह निश्चित है कि वे बहुत पहले ही भारतीय समाज और संस्कृति के विकास की प्रमुख धारा से पृथक् हो गए थे।
- 1927 में ‘ चाँद ' पत्रिका के ‘ अछूत अंक ' के प्रकाशन के बाद यह पहली बार था कि मुख्य धारा की किसी साहित्यिक पत्रिका का ‘ दलित अंक ' प्रकाशित किया गया हो. यह स्वीकार करना होगा कि ‘ हंस ' के ‘ मेरी तेरी उसकी बात ' सरीखे सम्पादकीय स्तम्भ के माध्यम से उन्होंने भारतीय समाज और संस्कृति के मुद्दों पर जो वैचारिक हस्तक्षेप किया उसने साहित्यकार की भूमिका को नया आधार भी प्रदान किया.
- इन सब बातों के अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि क्या साहित्य के विद्वान इस तरह की विषयों में दिलचस्पी लेंगे और क्या दो अंर्तसांस्कृतिक सीमाओं के परे अपनी अनुशासनिक दृष्टि का विस्तार कर पाऐंगे? और मैं विद्वानों से निवेदन पूर्वक कहना चाहूँगा कि भारतीय आधुनिकता की शुरूआत औपनिवेशिक शासन के शुरूआत से नहीं होती है आधुनिकता के कर्इ ऐसे तत्व भारतीय समाज और संस्कृति में औपनिवेशक शासन के शुरूआत से पहले ही मिलने शुरू हो जाते हैं.