भीष्मपर्व वाक्य
उच्चारण: [ bhisemperv ]
उदाहरण वाक्य
- वह महाभारत के भीष्मपर्व की पहली ललकार के समान विकराल है, प्रथम मिलन के स्फीत चुम्बन की तरह सरस है, रावण के अहंकार की तरह निर्भीक है, प्रह्लाद के सत्याग्रह की तरह दृढ़ और अटल है.
- १. निस्संदेह यह वहां सुनाया गया था, किन्तु यह सिर्फ यहाँ ही नहीं सुनाया गया था-इससे पहले भी था-जैसा नीचे कृष्ण कह रहे हैं | यह सिर्फ भीष्मपर्व के अंतर्गत आया एक उपनिषद भर नहीं है
- १. निस्संदेह यह वहां सुनाया गया था, किन्तु यह सिर्फ यहाँ ही नहीं सुनाया गया था-इससे पहले भी था-जैसा नीचे कृष्ण कह रहे हैं | यह सिर्फ भीष्मपर्व के अंतर्गत आया एक उपनिषद भर नहीं है |
- नवरात्र चल रहे हैं और हर कोई ईश-भक्ति में डूबा हुआ है | सोचा एक बार विचार तो करके देखा जाए कि श्रीमद्भगवद्गीता भक्ति के विषय में क्या कहती है | महाभारत के भीष्मपर्व में कहा गया है: “ गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्रविस्तरै: | या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्मात् विनि: सृता || ” (महा. भीष् म. १ ३ / १)
- जब भीष्मपर्व के पहले ही अध् याय के 18-19 श्लोकों में यही बात लिखी जा चुकी है कि केवल कृष्ण और अर्जुन के शंखों की ही आवाज से दुर्योधन की सेना के लोग ऐसे भयभीत हो गए जैसे सिंह के गर्जन से हिरण काँप उठते हैं, इसीलिए हालत यहाँ तक हो गई कि सभी की पाखाना-पेशाब तक उतर आई, तो फिर यहाँ दुर्योधन की बातों से दहलने का क्या प्रश्न?