भूपुर वाक्य
उच्चारण: [ bhupur ]
उदाहरण वाक्य
- इसके मध्य भाग में बिन्दु व छोटे बडे मुख्य नौ त्रिकोण से बने ४ ३ त्रिकोण दो कमल दल भूपुर एक चतुरस ४ ३ कोणों से निर्मित उन्नत श्रंग के सद्रश्य मेरु प्रुष्ठीय श्रीयंत्र अलौकिक शक्ति व चमत्कारों से परिपूर्ण गुप्त शक्तियों का प्रजनन केन्द्र बिद्नु कहा गया है।
- यंत्र के मध्य में बिंदु है, बाहर भूपुर, भुपुर के चारों तरफ चार द्वार और कुल दस प्रकार के अवयय हैं, जो इस प्रकार हैं-बिंदु, त्रिकोण, अष्टकोण, अंतर्दशार, वहिर्दशार, चतुर्दशार, अष्टदल कमल, षोडषदल कमल, तीन वृत्त, तीन भूपुर।
- यंत्र का बिंदुचक्र सत्यलोक, त्रिकोण तपोलोक, अष्टकोण जनलोक, अंतर्दशार महर्लोक, बहिर्दशार स्वर्लोक, चतुर्दशार भुवर्लोक, प्रथम वृत्त भूलोक, अष्टदल कमल अतल, अष्टदल कमल का बाह्य वृŸा वितल, षोडशदल कमल सुतल, वृŸात्रय या त्रिवृŸा तलातल, प्रथम रेखा भूपुर महातल, द्वितीय रेखा भूपुर रसातल और तृतीय रेखा भूपुर पाताल है।
- यंत्र का बिंदुचक्र सत्यलोक, त्रिकोण तपोलोक, अष्टकोण जनलोक, अंतर्दशार महर्लोक, बहिर्दशार स्वर्लोक, चतुर्दशार भुवर्लोक, प्रथम वृत्त भूलोक, अष्टदल कमल अतल, अष्टदल कमल का बाह्य वृŸा वितल, षोडशदल कमल सुतल, वृŸात्रय या त्रिवृŸा तलातल, प्रथम रेखा भूपुर महातल, द्वितीय रेखा भूपुर रसातल और तृतीय रेखा भूपुर पाताल है।
- यंत्र का बिंदुचक्र सत्यलोक, त्रिकोण तपोलोक, अष्टकोण जनलोक, अंतर्दशार महर्लोक, बहिर्दशार स्वर्लोक, चतुर्दशार भुवर्लोक, प्रथम वृत्त भूलोक, अष्टदल कमल अतल, अष्टदल कमल का बाह्य वृŸा वितल, षोडशदल कमल सुतल, वृŸात्रय या त्रिवृŸा तलातल, प्रथम रेखा भूपुर महातल, द्वितीय रेखा भूपुर रसातल और तृतीय रेखा भूपुर पाताल है।
- अतएव श्री यंत्रोपासक का ब्रह्मरंध्र बिंदु चक्र, मस्तिष्क त्रिकोण, ललाट अष्टकोण, भ्रूमध्य अंतर्दशार, गला बहिर्दशार हृदय चतुर्दशार, कुक्षि वृŸा, नाभि अष्टदल कमल, कटि बाह्यवृŸा अष्टदल कमल, स्वाधिष्ठान षोडषदल कमल, मूलाधार षोडशदल कमल का बाह्य त्रिवृŸा, जानु प्रथम रेखा भूपुर, जंघा द्वितीय रेखा भूपुर और पैर तृतीय रेखा भूपुर हैं।
- अतएव श्री यंत्रोपासक का ब्रह्मरंध्र बिंदु चक्र, मस्तिष्क त्रिकोण, ललाट अष्टकोण, भ्रूमध्य अंतर्दशार, गला बहिर्दशार हृदय चतुर्दशार, कुक्षि वृŸा, नाभि अष्टदल कमल, कटि बाह्यवृŸा अष्टदल कमल, स्वाधिष्ठान षोडषदल कमल, मूलाधार षोडशदल कमल का बाह्य त्रिवृŸा, जानु प्रथम रेखा भूपुर, जंघा द्वितीय रेखा भूपुर और पैर तृतीय रेखा भूपुर हैं।
- अतएव श्री यंत्रोपासक का ब्रह्मरंध्र बिंदु चक्र, मस्तिष्क त्रिकोण, ललाट अष्टकोण, भ्रूमध्य अंतर्दशार, गला बहिर्दशार हृदय चतुर्दशार, कुक्षि वृŸा, नाभि अष्टदल कमल, कटि बाह्यवृŸा अष्टदल कमल, स्वाधिष्ठान षोडषदल कमल, मूलाधार षोडशदल कमल का बाह्य त्रिवृŸा, जानु प्रथम रेखा भूपुर, जंघा द्वितीय रेखा भूपुर और पैर तृतीय रेखा भूपुर हैं।
- इस यंत्र की पूजा वेदोक्त न होकर पुराणोक्त है इसमे बिन्दु षटकोण वृत अष्टदल एवं भूपुर की संरचना की गयी है, धनतेरस दीवावली बसन्त पंचमी रविपुष्य एवं इसी प्रकार के शुभ योगों में इसकी उपासना का महत्व है, स्वर्ण रजत ताम्र से निर्मित इस यन्त्र की उपासना से घर व स्थान विशेष में लक्ष्मी का स्थाई निवास माना जाता है।
- रमेश शास्त्री अनेक देवी-देवताओं के चिह्न, वृत्त, परिधि, भूपुर एवं उसकी दिशाएं ; इस यंत्र के सामथ्र्य एवं शक्ति को प्रमाणित करते हैं कि जातक सात्विक, राजसिक, अथवा तामसिक हो, यह यंत्र उसकी इच्छा पूर्ति एवं विघ्न-बाधाओं को नष्ट करने के लिए निश्चय ही, अलग-अलग समयों में, भिन्न-भिन्न शक्तियों की उपासना का लाभ प्रदान करता है।