मछरिया वाक्य
उच्चारण: [ mechheriyaa ]
उदाहरण वाक्य
- मधुबनी मछरिया के साथ बड़ा लाभ तो यह भी है कि इसके दर्शन में मछली की बदबू नहीं आती वर्ना मछली खाने के आनंद के बाद भी अपने हाथ का स्मेल खुद को अच्छा नहीं लगता.
- नाहिं मरलीं जल की मछरिया, नाहीं बनवाँ सावज हो कौशिला रानी बाड़ीं गरभ से हरिना-हरिना करैं हो ॥ ३ ॥ [हिरणी कहती है-” न तो तालाब सूख गये हैं, और न ही वन-प्रांतर तृण-रहित हुआ है ।
- कानपूर के ९ २ के दंगे में, मछरिया की हरी बिल्डिंग मुस्लिम परिवार की थी, दंगाइयों ने उसके निवासियों को चुन चुन कर मारा, मगर दो बन्दे उनको न मिल सके, जिनको कि उन्हें खास कर तलाश थी.
- एक ज्ञानी था जब पानी पानी था मैं हर मछरिया के डर की कहानी था मैं आज सोचा कि खुल के ज़रा साँस लूँ बाज देखा तो की याद नानी था मैं कींचडों में पडा मन से कितना लडा हाय कूँवे में खुद अपना सानी था मैं
- फिर ये फरक्का को क्यों कोसते हैं? चौपाल से विदा लेते वक्त गांव की कुछ महिलाएं हमें एक गीत सुनाती हैं-‘ गंगा मईया में मिलई ना मछरिया हो भईया, केना के दिनवा जईतई हो.... ' रुला देनेवाला गीता, लेकिन हम रोते नहीं.
- न शिकवा सिकायत न कोई गिला है छूकर के सांसें लौटी हवाओं ने हमसे कुछ ऐसा कहा है, सावन सा झर झर आँखों का पानी चाहत की चौड़ी नदिया में भीतर ही भीतर मीलों बहा है, दिल से दिल की लगी चोट पैनी गुलेलों से भारी सह सह मछरिया तड़प घाव गहरे हुये हैं!
- का अगहन का साबन … कोई न लौटन खबरिया …बदरिया … ढूंढूं कौन बजरिया …बदरिया …बाहर पानी है अन्दर पानी, फिर क्यूं मैं जलबिन मछरिया …बदरिया … घुल घुल जाए कजरिया …बदरिया …बादल बरसें धरतिया झूमे … भई सब माटी सरसिया …बदरिया … मोर ही खाली गगरिया …बदरिया … सौतन लागी नजरिया …बदरिया … लई दे मोरा सांवरिया …बदरिया …
- का मरलीं जल की मछरिया कि नाहीं बनवा सावज हो काहें तूँ ठाढ़ि हिरनिया मनइ मन अनमन हो ॥ २ ॥ [हिरण उसे यूँ अनमना देखकर पूछता है-” क्या सभी तालाब सूख गये जिससे सारी मछलियाँ मर गयीं (जल कहाँ मिलेगा अब?) या सभी वन के तृण-पात सूख गये (चरने को क्या मिलेगा?) कि तुम इस तरह अनमनी होकर खड़ी हो ।
- का अगहन का साबन … कोई न लौटन खबरिया … बदरिया … ढूंढूं कौन बजरिया … बदरिया … बाहर पानी है अन्दर पानी, फिर क्यूं मैं जलबिन मछरिया … बदरिया … घुल घुल जाए कजरिया … बदरिया … बादल बरसें धरतिया झूमे … भई सब माटी सरसिया … बदरिया … मोर ही खाली गगरिया … बदरिया … सौतन लागी नजरिया … बदरिया … लई दे मोरा सांवरिया … बदरिया …
- जो मैं होती राजा जल की मछरिया उठाए जाल काए दय्या रे जो मैं होती राजा बन की कोयलिया तुम बहेलिया लगाए घात रे याद आ गया आशा भोंसले का फ़िल्मी गीत जो शायद देवाआनन्द की फ़िल्म काला पानी का है-नज़र लागी राजा तोरे बँगले पे जो मैं होती राजा बेला चमेलिया लिपट रहती राजा तोरे बँगले पे शनिवार और सोमवार को पत्रावली में थे निम्मी जी और युनूस जी।