मिश्रबंधु वाक्य
उच्चारण: [ misherbendhu ]
उदाहरण वाक्य
- आचार्य शुक् ल की भाषा में मिश्रबंधु कविवृत् तकार ज् यादा थे इतिहासकार कम, यद्यपि उनका वृत् त हिंदी इतिहास की आलोचना का एक अनिवार्य सोपान रहा है तथा स् वयं शुक् ल जी भी ' मिश्रबन् धु विनोद ' के ऋणी रहे हैं ।
- जार्ज ग्रियर्सन इसे चारणकाल कहते हैं तो मिश्रबंधु प्रारम्भिक काल ; आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे वीरगाथाकाल कहा तो आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल ; राहुल सांकृत्यायन ने सिद्ध-सामंतकाल माना तो डा ० रामकुमार वर्मा ने इसे दो भागों संधिकाल और चारणकाल में विभाजित कर दिया।
- लवकुश चरित्र, हिंदी नवरत्न, मिश्रबंधु विनोद (4 भा0), नेत्रोन्मीलन, पूर्वभारत, उत्तर भारत (नाटक) भारतवर्ष का इतिहास (2 भा0), भारत विनय (पद्य,) बूँदी वारीश (पद्य), पुष्पांजलि (गद्य पद्यमय लेख संग्रह), भूषण ग्रंथावली, देव ग्रंथावली, सुर सुधा, जापान, रूस और स्पेन के इतिहास, हिंदी साहित्य का इतिहास, हिंदुइज्म (अंग्रेजी) इत्यादि।
- पं. गणेश बिहारी मिश्र की ‘ मिश्रबंधु विनोद ' के अनुसार 1900 की खोज में इनकी कुछ अन्य रचनाओं ‘ विचार माला ' तथा ‘ ध्रुव-चरित ' और ‘ नाम-संकीर्तन ' के संबंध में भी जानकारियाँ मिलती हैं परन्तु इस संबंध में अब तक प्रामाणिकता का अभाव है।
- श्री बालमुकुंद गुप्त जी का “शिवशंभु का चिट्ठा”, श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी का “कछुवा धर्म”, श्री मिश्रबंधु और बदरीनाथ भट्ट जी के अनेक नाटक, श्री हरिशंकर शर्मा के निबंध, नाटक आदि, श्री जी. पी. श्रीवास्तव और उग्र जी के अनेक प्रहसन और अनेक कहानियाँ, अपने-अपने समय में जनसाधारण में खूब समादृत हुई।
- श्री बालमुकुंद गुप्त जी का शिवशंभु का चिट्ठा, श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी का कछुवा धर्म, श्री मिश्रबंधु और बदरीनाथ भट्ट जी के अनेक नाटक, श्री हरिशंकर शर्मा के निबंध, नाटक आदि, श्री जी. पी. श्रीवास्तव और उग्र जी के अनेक प्रहसन और अनेक कहानियाँ, अपने अपने समय में जनसाधारण में खूब समादृत हुई।