मुगल-ए-आज़म वाक्य
उच्चारण: [ mugal-aajem ]
उदाहरण वाक्य
- Tue, 12 Aug 2008 12:45:28 GMT http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/preview/0808/12/1080812106_1.htm मान गए मुगल-ए-आज़म http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/preview/0808/11/1080811066_1.htm ड्रामा कंपनी एक नाटक ‘ए डेडली गेम प्लान' नामक प्लान बनाती है ताकि देश और शहर को बम विस्फोटों से बचाया जा सकें।
- यदि फिल्मों पर गौर करें तो महल, बैजू बावरा, मदर इंडिया, मुगल-ए-आज़म, दर्द, मेला, संघर्ष, राम और श्याम, मेरे महबूब-जैसी न जाने कितनी ही फिल्में हैं।
- फिल्म ‘ मुगल-ए-आज़म ' के एक प्रसंग में अकबर के दरबारी गायक तानसेन के स्वर में जब एक गीत की आवश्यकता हुई तो नौशाद ने उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ को गाने के लिए बड़ी मुश्किल से राजी किया।
- २. दूसरी फिल्म है बैजू बावरा: ये वो फिल्म है जिसके बाद नौशाद की पहचान बनी, वे सब की नजरॊ में आये और उसके बाद ही उन्होंने मुगल-ए-आज़म, मेरे महबूब व बाकि फिल्मों में काम किया।
- आपके लिए प्रस्तुत है यह गीत-राग-केदार: ‘बेकस पे करम कीजिये...': लता मंगेशकर: फिल्म-मुगल-ए-आज़म फिल्मों के प्रसंग के अनुसार नौशाद उस समय के दिग्गज शास्त्रीय गायकों को आमंत्रित कर गवाने से भी नहीं चूके।
- मुगल-ए-आज़म के राग दरबारी में ' मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोय' से लेकर गंगा जमुना के 'ढूँढो ढूँढो रे साजना' तक यदि किसी संगीतकार ने गीत की जरूरत, उसके बोल और गायिका की आवाज़ को समझा है तो वो नैशाद ही हैं।
- क्लॉर्नेट से निकलती हुई फिल्म ' मुगल-ए-आज़म ' के मेलॉडियस और कर्णप्रिय गाने “ मोहे पनघट पे नन्दलाल... ” की धुन ने बरबस ही वहाँ पर तब तक के लिये रोक लिया जब तक कि वह धुन पूरी ना हो गई।
- के आसिफ की क्लासिक फिल्म ' मुगल-ए-आज़म ' में अनारकली के किरदार में मधुमाला ने रौबदार और रत्न जडि़त पोशाक़ पहनकर सिनेमा के दर्शकों का दिल जीत लिया और आज भी ये पोशाकें बाजार में अनारकली स्टाइल पोशाक के नाम से बेची जाती हैं।
- वर्ष 2004 में इस फिल्म की रंगीन वर्सन रिलीज़ की गई जो लगातार 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में छाई रही| यह इस बात का सबूत है कि फिल्म मुगल-ए-आज़म की बेशुमार खूबियाँ आज भी हर वर्ग के दर्शकों को आकर्षित करने की क्षमता रखती है|
- मुगल-ए-आज़म के राग दरबारी में ' मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोय ' से लेकर गंगा जमुना के ' ढूँढो ढूँढो रे साजना ' तक यदि किसी संगीतकार ने गीत की जरूरत, उसके बोल और गायिका की आवाज़ को समझा है तो वो नैशाद ही हैं।