मेरी १ वाक्य
उच्चारण: [ meri 1 ]
उदाहरण वाक्य
- आज जब मैंने अपनी डायरी को पढ़ने के लिए निकला तब मैंने देखा मेरी डायरी में मेरी १ ०० नहीं १ ५ ६ रचनाये मैंने लिखी हुई है और मेरी खुशी और बढ़ गई.
- लेकिन मेरी १ ० साल की बिटिया ने ज्यों ही अमिताभ की भक्ति का समाचार इस चेनल पर पाया उसी भगवान की सौगंध जिसकी पादुका पूजन अमित कर रह थे बिटिया ने झट डिस्कवरी चेनल लगा लिया ।
- मेरी १ ४ साल की भांजी जो देल्ही के स्कूल में पढ़ती हैं, आज जब “ चनरमा में काहे दाग बा ” गुनगुना रही थी, मैंने मन ही मन सोचा … “ देसवा ” को जो करना था वो तो हो गया!!
- मोहतरमा आप की बात ठीक है पर हमें मुसलमानों से कोई परेशानी नहीं है हमें परेशानी है इस्लाम से मेरी १ छोटी सी बात का उतार देने की किरपा करे जो आदमी ६ ० साल का हो के ७ साल की बच्ची से शादी करे क्या आप को वो पैगेम्बर लगता है??
- फ़िर चाहे वो मेरी १ ० ६ घंटो की रेडियो दौड़ हो, जी हाँ रेडियो दौड़ तो मेरी थी पर आप लोग पुरी शिद्दत से १ ० ६ घंटो तक मुझे सुनते रहे, कभी कभी अपने मुझे डांट भी लगाई तो कभी मुझे शिकायते की, कभी अपना मान कर मुझसे मदद ली ।
- मन करता है कि इसके पप्पा की बेल मुंडवा दूँ! सुशील को बचपन में हम सभी “ नूडि बउवा ” पुकारते थे! कैसे? हजारीबाग में जब जीजाजी की पोस्टिंग थी तब इसी ने खुद अपना ये-नाम इन्वेंट किया, और रखा था! बचपन की इसकी शरारतें, मेरी १ ३-२ ३ शरारतों से मिलती थी ; इसीलिए हममें बचपन से ही एक दोस्त जैसा प्रेम रहा है!
- मैं अपने २ ० बरस के बेटे को रात के २ बजे Rock Concert देख कर अकेले आने की इज़ाज़त देता हूँ लेकिन जब मेरी १ ७ बरस की बेटी उसी बात की इज़ाज़त मांगती है तो मैं उसे Rock Concert में जाने से तो नहीं रोकता लेकिन रात के २ बजे उसे अकेले आने की इज़ाजत भी नही देता, खुद अपनी नीद खराब कर के उसे वहां लेने के लिये जाता हूँ ।
- ३-यदि आप मेरी १ ७ साल ३ ६ ४ दिन की नाबालिक बच्ची को उसकी मर्जी और परिवार की मर्जी के खिलाफ अपने साथ ले जाती है तो मै अपने नाबालिक बच्चे के अपहरण का केस आप पर कर सकती हूँ किन्तु कोई लड़का मेरे १ ६ साल के बच्चे (बेटा या बेटी दोनों) को अपने साथ भगा कर ले जाये उसके साथ सेक्स करे उसकी सहमती कोई बुरा बर्ताव करे तो मै उसके खिलाफ कोई केस नहीं कर सकती हूँ ।
- उसे केवल खुद से ही साझा करना होता है-वही आत्म शक्ति देता है दुनियावी बातों, रीति रिवाजों, बिडम्बनाओं और परिस्थितियों से समंजन स्थापित करने का-मेरे जैसे अंतर्जगतीय जीवन में जीने वाले लोग पलायनवादी भी हो जाते हैं मगर तमाम असफलताओं और दुनियावी जीवन के धोखे खाने के बाद भी पलायन मैंने नहीं सीखा-और यहीं भूमिका में अवतरित होती हैं संध्या मिश्र (पहले शुक्ल), मीरजापुर शहर के स्वतन्त्रता सेनानी श्री विद्यासागर शुक्ल की बेटी और मेरी १ ९ ८ १ से सहचरी..