मोटूरि सत्यनारायण वाक्य
उच्चारण: [ moturi setyenaaraayen ]
उदाहरण वाक्य
- पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार: किसी भारतीय मूल के विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिए वर्ष 2010: मदन लाल मधु, रूस वर्ष 2011: तेजेंद्र शर्मा, इंग्लैंड
- अंतर्जाल में हिंदी के प्रचार-प्रसार में सबसे अग्रणी लोगों में से प्रमुख पूर्णिमा वर्मन जी को पिछले दिनों राष्ट्रपति द्वारा हिंदी सेवी सम्मान समारोह में पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- मोटूरि सत्यनारायण ' के नाम पर दिया जाने वाला यह पुरस्कार भारतीय मूल के किसी साहित्यकार अथवा विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिये प्रदान किया जाता है।
- मोटूरि सत्यनारायण ने हिन्दीतर राज्यों के सेवारत हिन्दी शिक्षकों को हिन्दी भाषा के सहज वातावरण में रखकर उन्हें हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य एवं हिन्दी शिक्षण का विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता का अनुभव किया।
- (रा. शौरिराजन, हिंदी के प्रसार में तमिलनाडु का योगदान, मोटूरि सत्यनारायण जन्मशती समारोह स्मारिका, मार्च 2003, प्रधान संपादक-प्रो. नित्यानंद पांडेय, पृ. 90).
- अंतर्जाल में हिंदी के प्रचार-प्रसार में सबसे अग्रणी लोगों में से प्रमुख पूर्णिमा वर्मन जी को पिछले दिनों राष्ट्रपति द्वारा हिंदी सेवी सम्मान समारोह में पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- (डा. एन. चंद्रशेखरन नायर, हिंदीतर भाषा भाषियों का हिंदी के लिए योगदान, मोटूरि सत्यनारायण जन्मशती समारोह स्मारिका, मार्च 2003, प्रधान संपादक-प्रो. नित्यानंद पांडेय, पृ.127).
- संस्था के निदेशक डॉ. के वी एल एन एस शर्मा द्वारा ने बताया गया है कि पद्मभूषण मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार के लिए नकद एक लाख रुपये तथा हिंदीभाषी लेखक पुरस्कार के लिए पच्चीस हज़ार रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है।
- आंध्र-प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद के तत्वावधान में ‘ हिंदी दिवस 2012 ' के उपलक्ष्य में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह प्रतिष्ठित पद्मभूषण मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार ईमनि दयानंद को दिया गया | इसके तहत उन्हें एक लाख रुपये की राशि दी गयी |
- मोटूरि सत्यनारायण (जन्म-2 फ़रवरी, 1902-6 मार्च, 1995) दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार आन्दोलन के संगठक, हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के युग-पुरुष, गाँधी-दर्शन एवं जीवन मूल्यों के प्रतीक, हिन्दी को राजभाषा घोषित कराने और उसके स्वरूप का निर्धारण कराने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे।