रथचक्र वाक्य
उच्चारण: [ rethechekr ]
उदाहरण वाक्य
- फंसे रथचक्र को जब तक निकालूं, धनुष धारण करूं, प्रहरण संभालूं, ” ” रुको तब तक, चलाना बाण फिर तुम ; हरण करना, सको तो, प्राण फिर तुम.
- वर्तमान में इसी राज्य द्वारा पोषित कथित ‘विकास ' के अश्वमेधी घोड़े के रथचक्र में पिस रहे असहाय नागरिक द्वारा विरोध में उठाये जाते विद्रोह के झंडे को भी इसी संदर्भ में पढ़ने की कोशिश करें।
- वर्तमान में इसी राज्य द्वारा पोषित कथित ' विकास ' के अश्वमेधी घोड़े के रथचक्र में पिस रहे असहाय नागरिक द्वारा विरोध में उठाए जाते विद्रोह के झंडे को भी इसी संदर्भ में पढ़ने की कोशिश करें.
- रथचक्र की धुरी घिसी रथ अनियंत्रित लडखडाया लडखडाया विजयध्वज श्लथ बन्ध कबरी का लिए निज हस्त को धुरी किए ली थाम ध्वजा धर्म की केकेयसुता दशरथप्रिया ने बस एक पल था, एक ही निर्णय मरण-अमरत्व का अस्तित्व की बाज़ी लगा की मानरक्षा सूर्यकुल की
- रथचक्र ध्वजाकारौ स च शासनं लभेन्नरः॥-(सामुद्रिक शास्त्र) जिसके हाथ के बीच में (हथेली में) शक्ति, तोमर, बाण, रथ चक्र या ध्वजा दिखाई देती है, उसे शासन करने का अवसर अवश्य प्राप्त होता है और शासन से लाभ मिलता है।
- रथचक्र ध्वजाकारौ स च शासनं लभेन्नरः॥-(सामुद्रिक शास्त्र) जिसके हाथ के बीच में (हथेली में) शक्ति, तोमर, बाण, रथ चक्र या ध्वजा दिखाई देती है, उसे शासन करने का अवसर अवश्य प्राप्त होता है और शासन से लाभ मिलता है।
- द्रोण को शोकाकुल करने ‘ अश्वत्थामा हतः ' का अर्धसत्य बोलने के लिये धर्मराज को तत्पर करना अथवा दलदल में फँसे रथचक्र में उलझे कर्ण पर बाण चलाने के लिये अर्जुन को प्रेरित करने में पार्थसारथी ने दिखा दिया कि खोखली नैतिकता से स्वयं के हाथ बांधकर दमनकारी राक्षसों नहीं लड़ा जा सकता।
- जिस मन में ऋचाएं (ऋग्वेद-मन्त्र), साम (सामवेद-मन्त्र) तथा यजुः (यजुर्वेद-मन्त्र) प्रतिष्ठित रह्ते हैं, ठीक वैसे ही जैसे रथचक्र के आरे उसके केन्द्र पर गुंथे रहते हैं (अर्थात् जिनका मनन एवं उच्चारण मन द्वारा ही होता है), और जिस मन से प्रजाओं (मानवों) की समस्त चेतना शक्ति (पदार्थगत ज्ञान एवं उसकी समीक्षा की सामर्थ्य) ओतप्रोत रहती है, वह मेरा मन शान्त, शुभ तथा कल्याणप्रद विचारों का होवे ।