राग ललित वाक्य
उच्चारण: [ raaga lelit ]
उदाहरण वाक्य
- रविवार को के जी गिंडे का गायन सुनवाया गया, राग भीमपलासी के बाद छोटी-छोटी बंदिशे सुनवाई गई-राग यमन में धुपद, धमाल, राग ललित में होरी धमाल की जिसके लिए हारमोनियम पर संगत की थी गुरूदत्त हेपलेकर और तबले पर लोकेश शमसी ने।
- तो क्यों न जुगलबन्दी के इस रूप को भी सुना जाए पंडित जी के ही दो शागिर्दों विदुषी डॉ ० अश्विनि भिड़े-देशपाण्डे और पं ० संजीव अभ्यंकर की आवाज़ों में? डॉ ० देशपाण्डे इस जुगलबन्दी में राग ललित गा रही हैं जबकि पं ० अभ्यंकर गा रहे हैं राग पुर्ये-धनश्री।
- पैसा खर्च करोगे तो खत्म हो जायेगा पर सुर को खर्च करके देखिये महारा ज... कभी खत्म नही होगा.... ” मिलिए शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान से, मशहूर कार्टूनिस्ट इरफान को दिए गए एक ख़ास इंटरव्यू के माध्यम से और सुनिए शहनाई के अलौकिक स्वरों में राग ललित
- किसी भी राग में किसी स्वर के दो रूपों का एक साथ प्रयोग होना नियमों के विरुद्ध माना जाता है मगर, राग की रंजकता बढ़ाने के लिये, इस नियम के अपवाद में राग ललित ही एक ऐसा राग है जहाँ किसी स्वर का दो रूपों में एक साथ प्रयोग किया गया है।
- किसी भी राग में किसी स्वर के दो रूपों का एक साथ प्रयोग होना नियमों के विरुद्ध माना जाता है मगर, राग की रंजकता बढ़ाने के लिये, इस नियम के अपवाद में राग ललित ही एक ऐसा राग है जहाँ किसी स्वर का दो रूपों में एक साथ प्रयोग किया गया है।
- रूबरू होईये उस्ताद के कुछ अनछुए पहलुओं से-और अब सुनते है राग ललित उस्ताद की शहनाई में-२१ अगस्त २००६ को उस्ताद एक सादा और सूफी जीवन जीने के बाद दुनिया से विदा हुए और पीछे छोड़ गए अपने संगीत का ऐसा अनमोल खज़ाना, जिस पर हिंदुस्तान का हर संगीत प्रेमी नाज़ कर सकता है.
- “अमा तुम गाली दो बेशक पर सुर में तो दो....गुस्सा आता है बस उस पर जो बेसुरी बात करता है.....पैसा खर्च करोगे तो खत्म हो जायेगा पर सुर को खर्च करके देखिये महाराज...कभी खत्म नही होगा....” मिलिए शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान से, मशहूर कार्टूनिस्ट इरफान को दिए गए एक ख़ास इंटरव्यू के माध्यम से और सुनिए शहनाई के अलौकिक स्वरों में राग ललित २१ मार्च १९१६ में जन्में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का नाम उनके अम्मा वलीद ने कमरुद्दीन रखा था, पर जब उनके दादा ने नवजात को देखा तो दुआ में हाथ उठाकर बस यही कहा-बिस्मिल्लाह.